The impact of Sachin’s rebel, Rahul is on target: सचिन के बागी होने का असर,राहुल टीम निशाने पर

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नई दिल्ली।सचिन पायलट के बागी तेवर अपनाए जाने का असर पार्टी के अंदर गुस्से के रूप में दिखाई देने लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सीधे राहुल गांधी पर तो हमला नही बोला,लेकिन उनकी टीम पर जमकर भड़ास निकाली।इसका असर यह हुआ कि  कांग्रेस की लड़ाई अब खुल कर बाहर आ गई।इस लड़ाई के चलते राजस्थान संकट पर कांग्रेस अध्य्क्ष सोनिया गांधी की चिन्ता दब कर रह गई।सोनिया गांधी ने राज्यसभा सांसदों के साथ हुई बैठक में राजस्थान संकट पर बोला कि बीजेपी लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है,लेकिन हम इसके बाद भी राजस्थान में सरकार बचाने में कामयाब होंगे।सोनिया गांधी की किसी बात पर कोई चर्चा होती उससे पहले मामला ही दूसरा हो गया।सोनिया और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे नेताओं की ही समझ मे नही आया कि क्या किया जाय।क्योकि इन दोनों नेताओं पर भी कांग्रेस की हार का ठीकरा फोड़ दिया गया था।इसका नतीजा आज देखने को मिला।पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने शुक्रवार को ट्वीट कर एक तरह सोनिया और मनमोहन सिंह का बचाव कर कहा कि 2014 की हार के लिये यूपीए जिम्मेदार है तो फिर 2019 की हार की भी समीक्षा होनी चाहिये।
   अब कहानी यह है कि कांग्रेस में जब से राहुल गांधी ने कमान संभाली है तभी पुराने और युवा नेताओं का संघर्ष जारी है।लगातार हुई हार के बाद यह संघर्ष ज्यादा बढ़ गया।राहुल की युवा टीम अभी तक या तो फ्लॉप रही या पार्टी पर सवाल उठा छोड़कर जाने लगी।अशोक तंवर,ज्योतिरादित्य सिंधिया ओर अब  सचिन पायलट का बागी होना पार्टी के वरिष्ठ ओर पुराने नेताओं को रास नही आया।इन नेताओं की नाराजगी इस बात को लेकर है कि बिना सँघर्ष के इन युवा नेताओ को बड़े बड़े मोके दे दिये गए और अब यह कोई बात होती है तो ओल्ड गार्ड पर सारी बात डाल देते हैं।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कह चुके हैं अगर रगड़ाई हुई होती तो सचिन इस तरह का कदम नही उठाते।सोनिया गांधी ने देश के हालात पर चर्चा करने के लिये गुरुवार को अपनी पार्टी के सांसदों की बैठक बुलाई थी।इस बैठक में सांसदों का गुस्सा राहुल की टीम पर निकलने लगा।ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक दम बाद सचिन पायलट का मामला जो सामने आ गया था।कपिल सिब्बल,पी चिदंबरम जैसे कई नेताओं ने हमला बोल दिया।सब का यही कहना था पार्टी का ग्राफ लगातार गिर रहा है।कोई संगठन नही है।हालत खराब है।मीडिया विभाग भी निशाने था।इस पर राहुल की टीम के राजीव सातव ने कांग्रेस की बर्बादी के लिये यूपीए पार्ट 2 को जिम्मेदार ठहरा दिया।बस फिर क्या था बात बिगड़ गई।पंजाब के राज्यसभा के सांसद शमशेर सिंह ढिलो ने तो आखिर कह ही दिया कि हम लोग जिले से संघर्ष कर यहाँ तक पहुंचे।युवाओ को बिना संघर्ष के सब कुछ दे दिया गया।कोई भी नुकसान होता है ओल्ड गार्ड पर डाल दिया जाता है।सूत्रों की माने तो 40 सांसदों में केवल 7 ने ही राहुल गांधी के फिर से कमान संभालने की बात कही।केसी वेणुगोपाल ने बात संभालने की कोशिश की तो बिहार के सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा कि केरल में संगठन होगा बाकी कहीं कोई संगठन नही है।कांग्रेसी सांसद इस बात से चितित थे कि पार्टी में न तो संगठन है और सिवाए मोदी के विरोध के कुछ नही हो रहा है।
 सूत्रों की माने तो राजस्थान संकट के लिये जो टीम जयपुर भेजी गई है उसको लेकर भी नेता खुश नही है।कहीं ना कहीं पार्टी में तालमेल का अभाव दिखाई दे रहा।हरियाणा में बागी विधायकों को ठहराए जाने की खबरों के बाद भी राज्य के नेता शांत बैठे हैं।सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पीछे पूरी तरह से खड़े जरूर हैं,लेकिन बाकी नेताओं की चुप्पी कांग्रेस के भीतर चल रहे खींचतान को उजागर कर रही है।यह बात साफ हो गई है कि भारत सरकार गहलोत सरकार को अस्थिर करने में लगी है।मुख्यमंत्री गहलोत ने आज अपने विधायको को जैसलमेर शिफ्ट करने के समय कहा भी यह लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है।विधायको को मानसिक रूप से तंग किया जा रहा है।करोड़ो के ऑफर दिये जा रहे हैं ।भारत सरकार और अमित शाह चुनी हुई सरकार गिराना चाहते हैं।हम लोकतंत्र बचाना चाहते हैं।समाप्त
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