The governor has no choice but to accept the proposal: राज्यपाल के पास प्रस्ताव मानने के अलावा कोई चारा नही

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अजीत मैंदोला नई दिल्ली।राजस्थान के  राज्यपाल कलराज मिश्रा  अगर इस बार भी सरकार के सत्र आहुत करने के प्रस्ताव को वापस लौटाते हैं तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।ऐसे संकेत पार्टी ने दिये हैं।हालांकि पार्टी उम्मीद कर रही है कि राज्यपाल संविधान की अवहेलना नही करेंगे।दूसरी तरफ जानकार भी मान रहे हैं कि राज्यपाल के पास सरकार के प्रस्ताव को मानने के अलावा कोई चारा नही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल की आपत्तियों का कड़ा जवाब भेजा है।उन्होंने एक तो 21 दिन के समय देने की बात को दरकिनार कर अपने पहले प्रस्ताव की 31 जुलाई से ही सत्र आहुत करने की बात की है।
सूत्रों की माने तो मुख्य्मंत्री ने विश्वास या अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में स्पष्ठ किया है कि सदन का बिजनेस तय करने की जिम्मेदारी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की है।वह ही एजेंडा तय करेगी।रहा सवाल कोरोना के दौरान सत्र आहुत करने के समय विधायको व कर्मचारियों के स्वास्थ की सुरक्षा का तो वह विधानसभा अध्य्क्ष की जिम्मेदारी है।मतलब मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि वह कोई समझौता नही करेंगे।दरअसल यह पहला ऐसा मामला है जिसमे कांग्रेस को नई शक्ति  मिली है।देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में नई जान आई है।2017 के गुजरात राज्यसभा ओर विधानसभा चुनाव के तीन साल कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर देती दिख रही है।उस समय गुजरात की जिम्मेदारी अशोक गहलोत के पास ही थी।राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल चमत्कारिक रूप से एक वोट से जीते थे।जबकि विधानसभा चुनाव में मणिशंकर अय्यर के एक बयान ने कांग्रेस से जीत छीन ली थी।गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस ने राजस्थान,मध्य्प्रदेश ओर छत्तीसगढ़ में जीत हांसिल की थी,लेकिन उसके बाद कांग्रेस की लोकसभा में करारी हार हुई और  कई राज्यों में सत्ता गंवाई ।उत्तर पूर्व भारत के राज्यों का मामला रहा हो या फिर कर्नाटक मध्य्प्रदेश का।बीजेपी ने बड़ी सफाई से कांग्रेस से सत्ता छीनी।कांग्रेस चाह कर भी कुछ नही कर पाई।लेकिन राजस्थान में पहली बार कांग्रेस बीजेपी से कड़ा लोहा ले रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने तरीके से बीजेपी के हर दांव को अभी तक मात दी है।बीजेपी भले ही राजस्थान के मामले को कांग्रेस का अंदुरुनी झगड़ा बता रही हो,लेकिन राज्यपाल के रुख ने साफ कर दिया कि पर्दे के पीछे उसका ही हाथ है।बीजेपी का संकट यह है कि कानूनी ओर संवैधानिक रूप से वह बहुत कमजोर पड़ती जा रही है।राज्यपाल अगर अब भी दिल्ली के दबाव में आकर प्रस्ताव फिर वापस लौटते हैं तो कांग्रेस  बीजेपी को ओर एक्सपोज करेगी।यह तो तय है कि कांग्रेस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जायेगी।जानकारों का मानना है कि  वहाँ पर कांग्रेस जीत जायेगी क्योंकि राज्यपाल के पास  कोई अधिकार नही है कि वह सरकार के प्रस्ताव को न माने।लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी कहते हैं  राज्यपाल को सरकार के प्रस्ताव को मानना ही पड़ेगा।वह संविधान की अनदेखी नही कर सकते है।दूसरी तरफ कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे हैं कि बीजेपी संख्याबल मे हारने के बाद बसपा के विधायकों के मामले को कोर्ट में चुनोती दे संख्या कम करने की कोशिश कर रही है जिसमे उसे सफलता नही मिलेगी।कांग्रेस भी राजस्थान से मिली ऊर्जा को कतई नही गंवाना चाहती है।पूरा आलाकमान अशोक गहलोत के पीछे खड़ा हो गया है।सोनिया ओर राहुल गांधी रोज सुबह शाम  गहलोत से संवाद कर जानकारी लेते हैं।यही वजह बुधवार को नए प्रदेश अध्य्क्ष गोविंद सिंह डोटासरा के कार्यभार सँभालने के समय पार्टी के कई बड़े दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे।डोटासरा को बागी सचिन पायलट की जगह प्रदेश की कमान सोंपी गई है।
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