5 acres of land for mosque is like bribing Muslims – Sunni Waqf Board: मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिमों को रिश्वत देने जैसा है-सुन्नी वक्फ बोर्ड

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लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से लटके अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। बरसो से चले आ रहे विवाद को को कोर्ट ने सुलझा दिया और अपना निर्णय दिया था। कोर्ट ने विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी थी तो वहीं मुस्लिमान पक्षकारों को पांच एकड़ जमीन मस्जिद के लिए सरकार को मुहैया कराने का आदेश दिया था। इस पर मुस्लिम पक्षकार एकमत नहीं हैं। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ पक्षकार जमीन न लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य इमरान माबूद खान ने कहा कि मस्जिद की जमीन के बदले दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने की बात मुस्लिमों को रिश्वत देने जैसी है, ताकि लोगों का ध्यान फैसले की खामियों से हटाया जा सके। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले ही नजीर बनते हैं। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने खुद स्वीकार किया है कि बाबरी मस्जिद का निमार्ण बाबर के कमांडर मीर बाकी ने 1528 में कराया था। 1857 से 1949 तक बाबरी मस्जिद का तीन गुंबद वाला भवन तथा मस्जिद का अंदरूनी सहन मुसलमानों के कब्जे व इस्तेमाल में रहा है।’ खान ने कहा कि कोर्ट ने बाबरी मस्जिद में 1857 से 1949 तक मुसलमानों का कब्जा तथा नमाज पढ़ा जाना भी मानते हुए 22, 23 दिसंबर, 1949 की रात राम की मूर्ति तथा अन्य मूर्तियों का बलपूर्वक रखा जाना अवैधानिक बताया। इसके बावजूद कोर्ट ने मस्जिद की जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए कहीं और पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।

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