कितना है लंग कैंसर का जोखिम , पहचानें 5 लक्षणों से

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lung cancer
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दुनिया जितनी आधुनिक हो रही है उतना ही ज्यादा लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियां बढ़ने लगी हैं। हमारा फिजिकल वर्क खत्म हो रहा है और हम खान-पान के प्रति बेहद लापरवाह हो गए हैं। बढ़ते प्रदूषण ने हर समस्या को बिगाड़ दिया है। हर दिन लोग लाइफस्टाइल से संबंधित किसी न किसी तरह की समस्याओं से परेशान रहते हैं। कभी डाइजेशन प्रॉब्लम, कभी कमर में दर्द, तो कभी मानसिक परेशानी. ऐसी कितनी दिक्कतें हैं जो 100 साल पहले नहीं थी लेकिन आज खराब लाइफस्टाइल और प्रदूषण के कारण होने लगी हैं। हेल्थशॉट्स की ख़बर के मुताबिक खराब लाइफस्टाइल का सबसे बड़ा दुष्परिणाम कैंसर की बीमारी है। एयर पॉल्यूशन के कारण सबसे ज्यादा लंग कैंसर होता है। दुर्भाग्य से बहुत पहले इसके लक्षण भी नहीं दिखते। ऐसे में इसका उपचार नहीं हो पाता। बीमारी से कुछ समय पहले हल्के लक्षण जब दिखते हैं तो आमतौर पर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन लंग कैंसर के लक्षण को नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए शुरुआत में शरीर में आए बदलाव से इसके लक्षणों को जाना जा सकता है।

लंग कैंसर के लक्षण

अगर बिना किसी कारण से लगातार हल्की खांसी हो तो यह लंग कैंसर होने का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज नहीं करें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि खांसी लंग कैंसर का सबसे आम लक्षण है। एक अध्ययन में शामिल करीब 0.2 फीसदी लोगों में तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी का परिणाम लंग कैंसर के रूप में सामने आया है। लंग कैंसर के लक्षण में खांसी की हरकतों में बदलाव भी आता रहता है।

बहुत आसानी से थक जाना और सांस लेने में तकलीफ महसूस करना लंग कैंसर के संकेत हो सकते है। सांस में तकलीफ का मतलब है कि वायु मार्ग में कुछ परेशानी है। यह लंग कैंसर का कारण भी हो सकता है। लंग कैंसर के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है जिससे गला बंद होने लगता है और उसमें से घरघराहट की आवाज आती है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि ये कैंसर के ही लक्षण हों लेकिन बेहतर है कि बिना देर किए विशेषज्ञ को दिखाएं।

जब बॉडी में कई जगह दर्द हो, चेस्ट, शोल्डर और बैक लगातार दर्द करें तो ये कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। अगर ये लक्षण लंग कैंसर के कारण हैं तो इस स्थिति में फेफड़े में लिम्फ नोड्स बढ़ जाते हैं, जिसके कारण बॉडी के कई हिस्से में दर्द करता है। लिम्फ नोड्स हमारे शरीर में अंडाकार टिश्यू से बनी ग्रंथियां होती हैं। अगर यह बेकाबू हो जाए तो ये हड्डियों में भी फैल सकती हैं।

लंग कैंसर के कारण आवाज कर्कश हो जाती है। आवाज में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। अगर यह साधारण जुकाम जैसे कभी-कभी होती है तो चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन अगर ये निरंतर रहती है, तो कुछ गंभीर होने का संकेत हो सकता है। अधिकांश कैंसर में शरीर का वजन गिरने लगता है। लंग कैंसर में भी बिना किसी वजह के वजन में अप्रत्याशित कमी आ जाती है।

क्या करना चाहिए

समय-समय पर फेफड़े की जांच करानी चाहिए। 55 से 74 साल की उम्र के लोगों को नियमित रूप से फेफड़े की जांच करानी चाहिए। स्मोकिंग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि स्मोकिंग करने वालों में लंग कैंसर का खतरा ज्यादा है।

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