Kurkushetra News : किशोरियों में भी बढ़ रहा पीसीओडी का खतरा,बिगड़ी दिनचर्या और खानपान बनी वजह

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The risk of PCOD is increasing in teenage girls as well, bad lifestyle and diet are the reason
  • श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में रोजाना पहुंच रही 20-25 महिला, विशेषज्ञ बोले- जागरूकता बहुत जरूरी

(Kurkushetra News) कुरुक्षेत्र। बिगड़ी जीवनशैली और गलत खानपान के कारण महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। हैरानी की बात है कि अब यह समस्या सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं रही,बल्कि किशोरियां भी पीसीओडी की समस्या से जूझ रही है।

श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के स्त्री रोग विभाग में रोजाना 20 से 25 महिलाएं पीसीओडी की समस्या के साथ उपचार कराने पहुंच रही हैं। विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मुताबिक,अगर आयुर्वेदिक औषधियों के साथ खानपान और अपनी जीवनशैली सुधार ली जाए तो इस स्थिति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। उन्होंने किशोरियों और महिलाओं को दिनचर्या में संतुलन,पौष्टिक भोजन और नियमित योग-प्राणायाम को शामिल करने की सलाह दी। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में महिला स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं एवं पीसीओडी को लेकर जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों के माध्यम से महिलाओं और किशोरियों को संतुलित आहार, नियमित योग और आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

पीसीओडी के कारण गर्भधारण में दिक्कत: प्रो.पंडा

स्त्री रोग विभाग के चेयरमैन प्रो.जीतेश कुमार पंडा के अनुसार,मासिक धर्म के दौरान लापरवाही, गलत खानपान, देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना,फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन,तनाव, व्यायाम न करना और मोटापा पीसीओडी के मुख्य कारण हैं। जिसकी वजह से मासिक धर्म की अनियमितता,गर्भधारण करने में कठिनाई,चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल,वजन बढ़ना और हृदय रोग और टाइप-2 मधुमेह का कारण बन सकती है।

पीसीओडी से काफी हद तक बचा जा सकता है: प्रो.सुनीति

स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर वैद्य सुनीति तंवर ने कहा कि कुछ किशोरियों में ही हार्मोनल असंतुलन की शुरुआत हो रही है,जो आगे चलकर पीसीओडी में बदल जाती है। खानपान में सुधार और दिनचर्या को संतुलित करके इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। जौ और गेहूं की रोटी,दलिया,देसी घी, मीठी खीर,चावल और ताजे फल आदि का सेवन लाभकारी माना गया है। उन्होंने मैदा,खट्टी चीजें और फास्ट फूड से परहेज करने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी बताया कि योग, विशेष रूप से सूर्य नमस्कार,कपालभाति और भ्रामरी जैसी क्रियाएं हार्मोन संतुलन में सहायक होती हैं और पीसीओडी की स्थिति को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं।

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