संत सीचेवाल ने कामागाटा मारू जहाज को इतिहास के पन्नों पर ‘गुरु नानक जहाज’ के रूप में याद करने के लिए राज्यसभा के उपाध्यक्ष को पत्र लिखा
Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : राज्यसभा सदस्य संत बलवीर सिंह सींचेवाल ने कामागाटा मारू जहाज को गुरु नानक जहाज के रूप में पहचान दिलाने और 23 जुलाई को हर साल राष्ट्रीय स्तर पर मनाने के लिए राज्यसभा के उपाध्यक्ष को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि आज से 111 साल पहले 23 जुलाई 1914 को गुरु नानक जहाज कनाडा से वापस भारत के लिए रवाना हुआ था। यह जहाज 29 सितंबर 1914 को कोलकाता के बजबज घाट पर पहुंचा था, जहां ब्रिटिश सरकार ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर जहाज के 19 यात्री शहीद कर दिए थे।
यह था जहाज का असली नाम
संत सीचेवाल ने कहा कि वह जहाज जो इतिहास के पन्नों पर कामागाटा मारू के नाम से दर्ज है, वास्तव में उसका नाम ‘गुरु नानक जहाज’ था। इस जहाज को ले जाने वाले गदर के सिख नेता बाबा गुरदीत सिंह जी ने गुरु नानक स्टीमशिप नाम की कंपनी बनाकर इसे रजिस्टर्ड कराया था। इस जहाज में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश भी किया जाता था और संगत शबद कीर्तन भी करती थी। इस जहाज में कुल 376 यात्री थे, जिनमें 340 सिख, 12 हिंदू और 24 मुस्लिम थे। जहाज की टिकटों पर इसका नाम ‘गुरु नानक जहाज’ लिखा हुआ था।
सांसद ने किताब का हवाला दिया
बाबा गुरदीत सिंह जी द्वारा लिखी गई किताब श्री गुरु नानक जहाज के मुसाफिरों की दर्दभरी कहानी इस घटना का एक दुर्लभ दस्तावेज है। इसी तरह, इतिहासकार डॉ. गुरदेव सिंह सिद्धू द्वारा लिखी किताब श्री गुरु नानक जहाज (कामागाटा मारू जहाज: समकालीन वृत्तांत) भी यह बताती है कि इस जहाज का नाम ‘गुरु नानक जहाज’ था। संत सीचेवाल ने पत्र के माध्यम से जोरदार मांग की कि इस जहाज को इतिहास के पन्नों पर ‘गुरु नानक जहाज’ के नाम से ही याद किया जाए और इसके शहीदों को सम्मान देने के लिए संसद के राज्यसभा में प्रस्ताव पास किया जाए।
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