सदियों से निभाई जा रही है सेहरा बांधने की परंपरा
Wedding Rituals, (आज समाज), नई दिल्ली: सभी धर्मों में विवाह के दौरान कई तरह की रस्म और परंपराएं निभाई जाती हैं। इन्हीं परंपराओं में शामिल है विवाह के समय दूल्हे के सिर पर सेहरा बांधना। विवाह में हमेशा ही ये रस्म अदा की जाती है, लेकिन विवाह के समय दूल्हे के सिर पर सेहरा बांधना सिर्फ सजावट नहीं मानी जाती है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और पारंपरिक मान्यताएं भी बताई जाती हैं, जो आपको हैरान कर देंगी।
भारतीय परिवेश में सेहरा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कई हिंदू फिल्मों और गीतों में सेहरे का जिक्र है। भारत में सेहरा बांधने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है। इसके पीछे सामाजिक और धार्मिक कारण हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
चेहरा जाता है ढका
विवाह के दिन हिंदू और मुस्लिम धर्म में दूल्हे को बारात के निकलने से पहले तैयार किया जाता है। तैयार करते समय दूल्हे को सेहरा अवश्य बांधा जाता है। सेहरा आमतौर पर फूल, मोती, कुंदन, चमकीली व रेशमी धागे या कई बार तो सोने-चांदी की कलाकारी से बनता है। पगड़ी या सेहरे से दूल्हे का चेहरा ढका जाता है।
नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है
सेहरे को आम बोलचाल की भाषा में मुकुट, विवाह मुकुट, किरीट और मउर भी कहा जाता है। दूल्हे के चेहरे को सेहरे से ढकने के पीछे मान्यता ये भी है कि विवाह की प्रमुख रस्मों को निभाने तक दूल्हे और दुल्हन का चेहरा किसी को नजर नहीं आना चाहिए। यानी छिपा होना चाहिए, जिससे कि उन पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर न पड़ सके।
शास्त्रों में भी है वर्णन
यही कारण है कि दुल्हन का चेहरा घूंघट से और दूल्हे का चेहरा सेहरे से ढका जाता है। शास्त्रों में भी जटा मुकुट अहि मउर संवारा का वर्णन मिलता है। यानी भगवान शिव के गण उनकी जटाओं का मुकुट बना रहे हैं और सांपों से उनके मौर को सजाया जा रहा है।
इस चौपाई के माध्यम से ये बताया गया है कि भगवान शिव ने विवाह के समय सिर पर सांपों से बना मुकुट पहना था। शास्त्रों में विवाह मुकुट को पंचदेव से सुशोभित नर का श्रृंगार कहा गया है। यही कारण है कि विवाह के समय आम लोग भी मुकुट या सेहरा पहनते हैं।
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