गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करना माना जाता है बहुत ही पावन
Ganga Mein Asthi Visarjan, (आज समाज), नई दिल्ली: सनातन धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करना सिर्फ एक पंरपरा हिस्सा भर नहीं है, बल्कि ये एक गहरा धार्मिक अनुष्ठान है। इसके बाद अस्थियां पवित्र नदी में विसर्जित की जाती है। विशेषकर अस्थियां गंगा नदी में ही विसर्जित की जाती हैं।
गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करना बहुत ही पावन माना जाता है। लोगों के मन में ये सवाल भी उठता है कि गंगा में अस्थियां क्यों विसर्जित की जाती हैं? ऐसा क्या कारण है कि हजारों सालों से लोग इस परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं और गंगा में ही अस्थिया विसर्जित करते हैं? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
गरुण पुराण के अनुसार
गरुण पुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में एक है। इसमें मानव के शरीर और मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के बारे में विस्तार लिखा गया है। गरुण पुराण के अनुसार, मानव शरीर पांच तत्वों यानि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बना है। मृत्यु के बाद इन्हीं पंच तत्वों में शरीर विलीन हो जाता है। अंतिम संस्कार के दौरान शरीर अग्नि को लौटा दिया जाता है।
इसके बाद बाकी बची हुई अस्थियां चुनी जाती हैं और फिर 10 दिनों के भीतर उनको गंगा में विसर्जित कर दिया जाता है। मान्यता है कि अस्थियां गंगा मेंं विसर्जित करने के बाद ही आत्मा शांति प्राप्त करती है। फिर वो स्वर्ग की यात्रा की ओर बढ़ जाती है। पुराणों में यह भी बताया गया है कि गंगा में अस्थि विसर्जन करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, भागीरथ की तपस्या से गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं।
गंगा नदी है मोक्षदायनी
भागीरथ ने ऐसा अपने पुर्वजों को मुक्ति दिलाने के लिए किया था। इसी वजह से गंगा नदी मोक्षदायनी कही जाती है। माना ये भी जाता है कि गंगा में अस्थि विसर्जन करने से मृतक को सिर्फ स्वर्ग ही नहीं, बल्कि ब्रह्मलोक मिलता है। आत्मा वो जगह प्राप्त करती है, जहां जहां पुनर्जन्म का चक्र खत्म हो जाता है। उसको परम शांति की अवस्था मिलती है।
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