शुभ फल देने वाला माना गया है दोषरहित पंचक
Panchak, (आज समाज), नई दिल्ली: जिस तरह हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है, ठीक उसी तरह पंचक को भी शुभ नहीं माना जाता है। हर महीने पांच दिनों के लिए पंचक रहते हैं, जिसमें बहुत से शुभ-अशुभ कार्य वर्जित होते हैं। पंचक शुभ और अशुभ दोनों तरह के होते हैं और यह निर्भर करता है कि पंचक किस वार से शुरू हो रहे हैं।
धार्मिक दृष्टि से पंचक शादी विवाह के लिए लाभदायक नहीं माना गया है। नवंबर में 27 तारीख से पंचक की शुरूआत होने जा रही है। इसी बीच चलिए जानते हैं कि दोषरहित पंचक क्या है और इसमें क्या-क्या नहीं किया जाता है।
पंचक क्या होता है?
पंचक, पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती, के संयोग से बनने वाला विशेष समय होता है। यह अवधि तब शुरू होती है जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम चरण से शुरू होकर रेवती नक्षत्र के अंत तक गोचर करता है, जो कि कुंभ और मीन राशि में होता है। पंचक हर महीने लगभग पांच दिनों तक चलता है।
पंचक के प्रकार
- सोमवार: राज पंचक (शुभ)
- मंगलवार: अग्नि पंचक (अशुभ)
- बुधवार: दोषरहित पंचक (शुभ)
- गुरुवार: दोषरहित पंचक (शुभ)
- शुक्रवार: चोर पंचक (अशुभ)
- शनिवार: मृत्यु पंचक (सबसे अशुभ)
- रविवार: रोग पंचक (अशुभ)
दोषरहित पंचक क्या है?
दोषरहित पंचक वे पंचक होते हैं, जो गुरुवार या बुधवार से शुरू होते हैं। यह पंचक शुभ फल देने वाला माना गया है, क्योंकि ये भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा से प्रभावित होते हैं।
दोषरहित पंचक के दिनों में पंचक के सामान्य निषेधों का पालन करने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, फिर भी कुछ विशेष कार्य जैसे झ्र दक्षिण दिशा की यात्रा या मकान की छत डलवाने, जैसे कुछ कार्यों से बचना चाहिए।
दोष रहित पंचक के नियम
दोषरहित पंचक के दौरान शुभ कार्य किए जा सकते हैं, क्योंकि इन पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता है। इस पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा, घर की छत ढलवाना, या लकड़ी का सामान बनवाना, आदि वर्जित होते हैं। अगर दोषरहित पंचक के दौरान कोई आवश्यक कार्य करना हो, तो उपाय के लिए किसी पंडित से सलाह लेना उचित है।
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