पितृपक्ष में पितरों का तृप्त होना बहुत जरुरी
Pitru Paksha, (आज समाज), नई दिल्ली: पितृपक्ष का महीना शुरू हो चुका है। इस माह में पितरों को याद किया जाता है और पिंडदान किया जाता है। इससे पितृ खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों का तृप्त होना बहुत जरुरी होता है, अगर पितृ तृप्त नहीं होंगे तो वो आशीर्वाद नहीं देंगे। इसीलिए इस माह में पितरों की तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है। जानते हैं पितृपक्ष में अगर पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं तो जरुर करें ये काम।

पितरों की कैसे करें प्रसन्न

  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्राद्ध के साथ तर्पण और पिंडदान करें, मनुष्य की सच्ची श्रद्धा भाव से पितृ प्रसन्न होते हैं।
  • पितरों की पूजा के दौरान आपने जो भोजन पांच जीवों के लिए निकाला है, उसे पूजा खत्म होने के बाद इन जीवों को खिलाना चाहिए।
  • देव, पीपल, गाय, कुत्ता और कौवे को अन्न और जल देने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ मछलियों और चींटियों को भी अन्न देना चाहिए।
  • पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोज कराने का बहुत महत्व होता है। इस दौरान ब्राह्माण को सम्मान पूर्व घर में आमंत्रित करें और भोजन के साथ दक्षिणा भी जरुर दें। ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • पितृपक्ष के दौरान अपने द्वार पर पितरों के लिए दीपक जरुर जलाएं। पितरों के लिए दीपक दक्षिण दिशा में जालाना चाहिए। इससे वह प्रसन्न होते हैं।
  • पितृपक्ष के दौरान घर में सात्विक भोजन बनाएं और वहीं खाएं, मास मदिरा से दूरी बनाकर रखें।

तुलसी से संबंधित उपाय

शिव पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष में घर का कोई भी सदस्य तुलसी संबंधित तमाम तरह के उपाय कर सकता है। पितृ पक्ष के दौरान तुलसी के पास एक कटोरी रखनी चाहिए। इसके बाद उसे कटोरी में गंगाजल डालना चाहिए।

गंगाजल डालते समय 5 से 7 बार पितरों का नाम लेना चाहिए और भगवान भोले का ध्यान करते हुए इस पानी को घर के चारों तरफ छिड़काव करना चाहिए और बचे हुए पानी को तुलसी में डालना चाहिए। ऐसा करने से तर्पण के समान फल प्राप्त होता है।

घर से नकारात्मक ऊर्जा होती है दूर

इतना ही नहीं यह उपाय करने से घर में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है साथ ही पिंडदान और तर्पण के बराबर का फल भी मिलता है। तुलसी का यह उपाय पितृ पक्ष की अवधि में एकादशी की तिथि और रविवार को छोड़कर कभी भी किया जा सकता है।

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