Metabolic surgery: a new ray of hope for patients with obesity and diabetes:मेटाबोलिक सर्जरी : मोटापा और मधुमेह के रोगियों के लिए आशा की नई किरण

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पटियाला । मोटापा एक जटिल बीमारी है और यह मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर बनता है। शोधकर्ताओं ने कोविड -19 के गंभीर रूप को विकसित करने के लिए मोटापे और मधुमेह को भी एक जोखिम कारक माना है । कोविड -19 महामारी के दौरान वायरस मोटापा और मधुमेह सबसे अधिक चर्चा और चिंताओं के विषयों में से एक रहें हैं। आज भारत में अधिक से अधिक लोगों ने मोटापे पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय में युवा वर्ग से भी सर्च पोर्टलों पर मोटापा, आहार, बेरियाट्रिक सर्जरी और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के स्तर आदि से संबंधित प्रश्नों में वृद्धि देखने को मिली है ।

मोटापा को किसी भी तरह से हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह कहना है प्रसिद्ध बैरिएट्रिक एंड मेटोबोलिक सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू का। आज पटियाला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जम्मू हॉस्पिटल जालंधर के डायरेक्टर और हेड डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी डाक्टर डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने बताया कि मोटापा एक बहुत ही जटिल बीमारी है और यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक व समाजिक आर्थिक तौर तरीकों को प्रभावित करती हैं। मोटे लोगों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पडता है यहां तक कि उनकी घरेलु जिदंगी में भी उसका असर होता है और तलाक तक की नौबत आ जाती है। शाम को डॉ जम्मू द्वारा मोटापे को ले कर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया, जहां उन्होंने प्रतिभागियों को मोटापा और उसके उपचार पर जागरूक किया ।

डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू का कहना है कि पंजाब में मोटापा समस्या का प्रमुख कारण आरामदायक जीवन शैली व सामाजिक आदतें जिनमें लोग बगैर नियंत्रण के खाते हैं। लोगों में जंक फूड को खाने या फिर बूफे सिस्टम में ज्यादा खाने से यह समस्या होती है। यदि इस खाने के साथ शराब का सेवन भी किया जाता है तो यह बहुत बडी समस्या पैदा कर सकता है। यह बीमारी वंशानुगत भी हो सकती है इसलिए ऐसे लोगों को अपनी जीवन शैली  व खान पानी के तरीकों को बदलने के लिए हमेशा ही तत्पर रहना चाहिए।  मोटापा बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। आज की जीवन शैली में बच्चे दिन भर मोबाइल या फिर लैपटाप पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं ऐसे में यह मोटापा को बढाता है।  इससे न सिर्फ मोटापा का रिस्क पैदा होता है बल्कि विटामिन डी की भी कमी होती है। जो कि मोटापा या फिर डायबिटीज दोनों में ही रिस्क फैक्टर हैं।

टाइप २ डायबिटीज के मरीजो के बारे में बातचीत करते हुए डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने बताया गत समय दौरान जारी अंतर्राष्ट्रीय हिदायतों के अनुसार भी मेटाबोलिक सर्जरी को टाइप २ डायबिटीज के मरीजो के लिए पहला इलाज बताया गया है। डायबिटीज और मोटापा एक ऐसी बीमारी है जो मेटाबोलिक सर्जरी के जरिेए ठीक किया जा सकता है। सरकार भी इसको रोकने में मदद कर रही है।  इसे रोकने के लिए फिट इंडिया मूवमेंट, नेशनल मानीटरिंग फ्रेमवर्क आदि कार्यक्रमों को शुरु किया गया है। डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि  मोटापा की बीमारी के इलाज में इंश्योरेंस कवरेज एक अहम कडी है।

डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू का कहना है कि उनका अनुभव रहा है कि वित्तीय समस्या के कारण ज्यादातर मरीज मोटापे का इलाज करने से परहेज करते हैं। लेकिन यह समझना चाहिए मोटापा एक गंभीर मेडिकल कंडीशन हैं। इसका इलाज इंश्योरेंस के जरिए करने से निश्चित रूप से ज्यादा से ज्यादा से लोगों को फायदा होगा और वे इलाज के लिए सामने आएंगे। मोटापा को लेकर भारत तीसरे बडे देश के रूप में उभर सामने आया है। पंजाब के अर्बन एरिया में एक तिहाई से ज्यादा लोग मोटापा की बीमारी से ग्रसित हैं।  महिलाओं में यह ज्यादा है जिनका प्रतिशत करीब 37 प्रतिशत हैं।

डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि मोटापे के रोगियों में मेटाबोलिक सर्जरी से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गठिया और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।  गैर-मोटापे के रोगियों में मधुमेह के उपचार के लिए भी मेटाबोलिक सर्जरी इलाज करने का एक प्रभावी तरीका है। डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने यह भी कहा कि सर्जरी लेप्रोस्कोपिक रूप से की जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस प्रकार की सर्जरी में कम जटिलताएं होती हैं और रोगियों को ठीक होने में बहुत कम  समय लगता है और सर्जरी के उपरांत मरीज़ अपनी दिनचर्या में बेहतर महसूस करते हैं और बेहतर पारिवारिक, सामाजिक और कामकाजी जीवन जीते हैं।

डॉ गुरविंदर सिंह जम्मू ने इस मौके पर अपने कुछ रोगियों के अनुभवों को भी साझा किया, जो मधुमेह के उपचार के लिए मेटाबोलिक सर्जरी से गुजर चुके हैं।

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