Can’t get anticipatory bail due to fear of death from Corona: कोरोना से मौत के डर से नहीं मिल सकती अग्रिम जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

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नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्टने कहा कि अग्रिम जमान इस बिना पर नहीं दी जा सकती कि व्यक्ति को जेल भेजने पर कोरोना से मौत होनेका डर हो सकता है। सुप्रीम कोर्टने आज यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करतेहुए यह आदेश दिया है। देश की सबसेबड़ी अदालत ने आज कहा कि अग्रिम जमानत पर फैसला केस की मेरिट के आधार पर किया जाना चाहिए। अग्रिम जमानत केवल इस आधार पर नहीं दी जा सकती कि कोरोना संक्रमण होने से मौत का डर है। बता देंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से पिछले सप्ताह यह आदेश दिया गया था कि जेलों में कैदियों की अधिक संख्या होने और केसों मेंवृद्धि केकारण अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हाईकोर्टकेइस फैसले को यूपी सरकार नेसुप्रीम कोर्टमेंचुनौती दी थी। जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की बेंच ने कहा, ‘आपको टिप्पणियों से परेशानी है। यह एक तरफा टिप्पणी थी कि सभी लोगों को अग्रिम बेल दिया जाना चाहिए। हम इस पर नोटिस जारी करेंगे, लेकिन स्टे नहीं लगाएंगे। लेकिन हम इस तरह के एक तरफा बयान पर रोक लगाते हैं।’ दरअसल हाई कोर्ट ने 130 मामलों में आरोपी प्रतीक जैन को अग्रिम जमानत देदी थी। इसके बाद से ही हाई कोर्ट के फैसले को लेकर बहस शुरू हो गई थी। हाई कोर्ट ने अपनेआदेश में कहा था कि जिस तरह से कोरोना के मामलों में तेजी दिख रही है, उससे किसी आरोपी को जेल भेजना उसकी जान केलिए जोखिम भरा हो सकता है।
इसकेअलावा पुलिसकर्मियों, जेल कर्मचारियों और अन्य लोगों के लिए भी यह जोखिम भरा हो सकता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि ऐसे में आरोपियों को एक निश्चित अवधि के लिए अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के ही एक आदेश का जिक्र किया था। इसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि भारत में जेलें भरी हुई हैं। ऐसे में जेलों में भीड़ को कम किए जाने की जरूरत है। कैदिय़ों और पुलिस कर्मियों की सेहत को ध्यान में रखते हुए ऐसा फैसला लिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस एनवी रमाना की बेंच ने कहा था कि उन सभी कैदियों को जेल से बाहर करना चाहिए, जिन्हें बीते साल बेल या फिर पैरोल मिली है।
हाई कोर्ट ने कहा था, आरोपी ही मर जाएगा तो कैसे चलेगा ट्रायल
इसी फैसले का जिक्र करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि हम इस बात से आंखें बंद नहीं कर सकते कि यदि आरोपी जिंदा ही नहीं रहेंगे तो फिर उन पर केस कैसे चल सकेगा। ऐसे में उन्हें महामारी के दौर में जेल में रखने से इस बात के चांस बढ़ जाएंगे कि ट्रायल शुरू होने से पहले ही उनकी मौत हो जाए।

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