Bihar’s situation still critical, Ganga’s water level above danger mark: बिहार की स्थिति अब भी विकट, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर

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पटना। बिहार में बाढ़ ने कहर बरपा रखा है। नदियों का जलस्तर कम नहीं हो रहा। आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। पड़ोसी राज्यों से पानी आने के कारण गंगा, पुनपुन सहित राज्य की नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पटना के अधिकतर घाटों पर गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सोन का पानी इस साल के रिकॉर्ड स्तर तक आ पहुंचा। लोगों की परेशानियां कम नहीं हो रहीं हैं। हालांकि बिहार में अब बारिश तो थम गई है लेकिन जलभराव ने स्थिति को विकट बना रखा है। बारिश के बाद पानी इकट्ठा होने से बीमारियां और महामारी फैलने का भी खतरा बढ़ गया है। मध्यप्रदेश से अनियंत्रित पानी छोड़े जाने के कारण इंद्रपुरी बराज पर सोन का जलस्तर तीन लाख 41 हजार क्यूसेक को पार कर गया। पिछले साल यहां तीन लाख 70 हजार क्यूसेक तक ही था। हालांकि इंद्रपुरी बराज पर अब तक का ऐतिहासिक रिकॉर्ड 23 अगस्त 1975 को 14 लाख 48 हजार क्यूसेक का है। वैसे बिहार सरकार के अनुरोध पर मध्यप्रदेश ने कम पानी छोड़ा तो मंगलवार की शाम तक यह दो लाख 60 हजार क्यूसेक तक आ गया। उदेरास्थान बराज में फल्गु नदी का पानी भी इस साल के रिकॉर्ड स्तर 93 हजार क्यूसेक तक आ गया। पिछले साल यह 22 हजार क्यूसेक ही था। गंडक का पानी वाल्मीकिनगर में इस साल का रिकार्ड स्तर दो लाख 15 हजार क्यूसेक को पार कर गया। पिछले साल एक लाख 89 हजार ही क्यूसेक तक पानी आया था। बागमती का पानी सीतामढ़ी के कटौंझा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बूढ़ी गंडक का पानी खगड़िया में खतरे के निशान से ऊपर है।

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