Jind News : श्रद्धालुओं ने लगाई पिंडारा तीर्थ में डुबकी

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Jind News : श्रद्धालुओं ने लगाई पिंडारा तीर्थ में डुबकी
पिंडारा तीर्थ में पिंडदान करते श्रद्धालु।
  • ज्येष्ठ माह की अमावस्या को दान-पुण्य करना अधिक फलदायी : नवीन शास्त्री

(Jind News) जींद। धार्मिक दृष्टि से प्रति माह अमावस्या का विशेष महत्व होता है लेकिन सोमवार को ज्येष्ठ माह की अमावस्या विशेष संयोग में आई। हालांकि इस बार अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में संश्य की स्थिति रही। इसीलिए सोमवार को सोमवती अमावस्या होते हुए भी बहुत कम श्रद्धालु स्नान के लिए पिंडारा तीर्थ पहुंचे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अमावस्या की तिथि मंगलवार तक रहेगी। सोम को श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर पितृ तर्पण किया और सुखद भविष्य की कामना की।

दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया

ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार दोपहर श्रद्धालुओं का आवागमन शुरू हुआ। श्रद्धालुओं सरोवर में स्नान तथा पिंडदान किया। इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।

तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की।

ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि 26 मई सोमवार को दोपहर 12:11 बजे शुरू हुई और 27 मई को सुबह 8:31 बजे समाप्त 

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि 26 मई सोमवार को दोपहर 12:11 बजे शुरू हुई और 27 मई को सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी। श्रद्धालुओं ने वट सावित्री व्रत भी रखा। सोमवती अमावस्या पर पितरों को तर्पण देने से पितृ दोष से राहत मिलती है। यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि, प्रार्थना करने और दान के कार्य करने के लिए समर्पित है।

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण, पिंडदान,  जप-तप, पूजन, दान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिजनों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन तर्पण करने से पितृ सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा लाभ-उन्नति योग भी रहा है। इस दिन दान करने से 100 गुणा फल मिलता है।

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