Jalabhishek on Shivling on the First Monday: सावन माह के पहले सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक, सुख समृद्धि की मांगी कामना

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Jalabhishek on Shivling on the First Monday
Jalabhishek on Shivling on the First Monday
  • जयंती देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया भगवान आशुतोष का रूद्राभिषेक
  • शिव पुराण में वर्णित श्रवण मास भगवान शिव का मास

आज समाज नेटवर्क, जींद:

Jalabhishek on Shivling on the First Monday: सावन माह के पहले सोमवार को मंदिरों में भगवान शिव के जलाभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। सुबह से ही श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचने भोलेनाथ की पूजा-अर्चना में जुट गए। शहर के प्रमुख शिव मंदिरों मेें सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आए। श्रद्धालु दूध-पानी व अन्य सामग्री शिवलिंग पर चढ़ाते हुए देखे गए।

श्रावण मास भगवान शिव का मास हैं

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि शिव पुराण में वर्णित श्रावण मास भगवान शिव का मास हैं। पूरे श्रावण मास में भगवान आशुतोष की नियमित रूप से सच्चे हृदय व मन से पूजा करते है उसके सारे कष्ट व पाप दूर हो जाते है। जो श्रद्धालु पूरे श्रवण मास में सच्चे मन से जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करता है उस पर भगवान आशुतोष की विशेष कृपा होती है। इस मास में पंचामृत के द्वारा भगवान शिव का नियमित पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, शहद, शक्कर, घी से महादेव की पूजा करनी चाहिए। शिव पर दूध का अभिषेक करने से शकल मनोरथ सिद्ध होते है। उन्होंने कहा कि जो भक्त पूरे श्रवण मास में भगवान शिव को सहस्त्र नाम से बेल पत्र अर्पण करता है, उसे अनंत फल की प्राप्ति होती है।

शिवलिंग का भव्य तरीके से रूद्राभिषेक 

हर-हर महादेव के जयकारों के साथ सावन माह के पहले सोमवार को महाभारतकालीन जयंती देवी मंदिर में शिवलिंग का भव्य तरीके से रूद्राभिषेक किया। भगवान शिवजी को दूध-दही, शहर, गंगाजल, घी से नहला कर और फल तथा फूल चढ़ा कर सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने मनोकामना मांगी। मंदिर के पुजारी पंडित नवीन शास्त्री ने बताया कि सावन माह के इन पवित्र दिनों में प्रत्येक दिन सुबह रूद्राभिषेक होगा। सावन माह के सोमवार को या फिर किसी भी दिन नहा धोकर दूध, दही, शहद, गंगाजल, घी से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें। इसके बाद जनेऊ, वस्त्र, भांग, धतूरा, बेलपत्र, सुपाड़ी, पान के पत्ते, फूलमाला, फल आदि भगवान शिव को अर्पित कर सकते हैं।

सावन माह के दौरान भगवान विष्णु शयन में Jalabhishek on Shivling on the First Monday

फिर ओम नम: शिवाय का जाप 108 या फिर 1008 बार करना है। आखिर में शिव की आरती और परिक्रमा कर रुद्राभिषेक के फल की प्राप्ति कर सकते हैं। सावन माह के दौरान भगवान विष्णु शयन में होते हैं, इसलिए भगवान शिव ही सृष्टि के संचालक होते हैं। शिव जल के देवता हैं, इसलिए सावन में अनेक प्रकार से जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने जनेऊ, वस्त्र, भांग, धतूरा, बेलपत्र, सुपाड़ी, पान के पत्ते, फूलमाला, फल आदि भगवान शिव को अर्पित कर विश्व शांति के लिए प्रार्थना भी की।

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