उत्तर भारत में आई बाढ़ पर बीबीएमबी चेयरमैन का बड़ा बयान, कहा, बांधों से यदि साल भर एक अनुपात में पानी छोड़ा जाए तो बाढ़ की स्थिति इतनी विकराल न बने

Punjab Flood Update (आज समाज), चंडीगढ़ : उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों को इस साल विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां पंजाब के सभी जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं तो वहीं हरियाणा का भी काफी एरिया बाढ़ ग्रस्त है। उत्तर भारत में आई इस विनाशकारी बाढ़ पर भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकारें दखल न दें और बांधों से पूरा साल एक अनुपात में पानी छोड़ा जाए तो बाढ़ की स्थिति से कुछ हद तक निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकारें अपनी जरूरत के अनुसार पानी की मांग करती हैं वे यह नहीं देखती कि बांध पानी से लबालब भरे हैं और बारिश के मौसम में यह खेतरे के निशान को पार कर जाएंगे।

भविष्य में राज्यों को बदलनी होगी अपनी सोच

त्रिपाठी ने कहा कि बांध हमेशा भरे रहें, राज्यों को यह रूढ़िवादी सोच बदलनी होगी। मानसून में अतिरिक्त पानी आने की वजह से बांधों से भारी मात्रा में पानी छोड़ना पड़ता है जिससे हालात काबू से बाहर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाखड़ा का जलस्तर काफी समय से 1400 फीट तक नहीं गया है। बोर्ड की तकनीकी कमेटी में भी यह बात सामने लाई गई थी। इस बार भीषण बारिश की वजह से काफी मात्रा में पानी बांधों में आया है जिससे पंजाब भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है।

हमें बांधों की सुरक्षा देखनी होती है

त्रिपाठी ने कहा कि अब भाखड़ा से हजारों क्यूसेक पानी रोज छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि बांधों की सुरक्षा भी देखनी होती है और उनकी सफाई भी करनी होती है इसलिए प्रशासन अधिक पानी छोड़ना चाहता है लेकिन राज्यों की दखल से यह संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि राज्यों को डर रहता है कि कम बारिश के कारण बांधों का जलस्तर नीचे जाने से कहीं पानी का संकट पैदा न हो जाए, लेकिन यह सोच सही नहीं है। उदाहरण देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि हरियाणा सिर्फ 8800 क्यूसेक पानी की मांग कर रहा था, जबकि अब हर रोज अकेले हरियाणा की तरफ इससे कहीं ज्यादा पानी बांधों से छोड़ा जा रहा है।

बाढ़ की चपेट में पंजाब के 1655 गांव

राज्य के 1655 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। अमृतसर के 390, गुरदासपुर के 324, बरनाला के 37, बठिंडा के 13, फिरोजपुर के 111, होशियारपुर के 121, कपूरथला के 178, लुधियाना के 216 और मानसा के 114 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इसके अलावा पटियाला में 29, रूपनगर में 3 और तरनतारन में 70 गांव पानी में घिरे हुए हैं। वहीं इस बाढ़ से अभी तक कुल 3,55,709 से अधिक लोग अब तक प्रभावित हो चुके हैं। सबसे ज्यादा असर अमृतसर (1,75,734), गुरदासपुर (1,45,006) और फाजिल्का (21,526) में देखने को मिला है। इसके अलावा फिरोजपुर, कपूरथला, मोगा, संगरूर और मोहाली में भी हजारों लोग संकट में हैं।

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