आईएमएफ ने भारत की विकास दर तेज होने का भरोसा जताया
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अगस्त में जब अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ लागू किए तो सभी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने एक सुर में कहा था कि आने वाला समय भारत के लिए कठिन साबित होगा। लेकिन भारतीय सरकार ने न केवल तेजी से अपनी व्यापार नीति में बदलाव करते हुए नए अंतरराष्ट्रीय बाजार तलाश किए बल्कि निर्यात के मापदंड भी बदल दिए। जिसका फायदा यह मिला की अगस्त में जो एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नकारात्मक अनुमान लगा रहीं थीं
वही अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को दोबारा से बढ़ा रहीं हैं। इन्हीं में से एक इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत के 2025 में 6.2 प्रतिशत और 2026 में 6.3 प्रतिशत की दर से विकास करने का अनुमान लगाया था। जुलाई में आईएमएफ ने अपने ही अनुमानों में सुधार करते हुए भारत के 2025 और 2026 दोनों वर्षों में 6.4 प्रतिशत की दर से विकास करने की संभावना जताई। लेकिन आईएमएफ यहीं नहीं रुका। उसने एक बार फिर अपने अनुमानों में संशोधन करते हुए कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.6 प्रतिशत की दर से विकास कर सकती है।
उद्योगपतियों का भारत की अर्थव्यवस्था में भरोसा
रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि सितंबर महीने में व्यवसायियों के द्वारा अधिक कर्ज लिया गया है। व्यवसायियों के द्वारा कर्ज लेने की क्षमता पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा बेहतर हो गई है। यह इस बात का संकेत है कि उद्योगपतियों को अर्थव्यवस्था में भरोसा बना हुआ है, वे निवेश कर इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं। इससे न केवल अर्थव्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर बनेंगे। भारत उपभोक्ता वस्तुओं के साथ-साथ अपने निर्माण के लिए कच्चे सामानों और विशेषकर मशीनी आवश्यकताओं के लिए वैश्विक बाजार पर निर्भर करता है। सौर ऊर्जा, फार्मास्युटिकल उत्पाद, इलेक्ट्रिकल चिप्स, सॉफ्टवेयर बाजार और मशीनों के लिए वह चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी और अन्य देशों के बाजार पर निर्भर करता है।
जीएसटी दरों और टैक्स दरों में कमी ने किया चमत्कार
जानकारों का कहना है कि विपरीत समय में केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों में संशोधन करके भारतीय अर्थव्यवस्थ को गति देने में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिखा दिया है कि टैक्स दरों में कमी कर भी अर्थव्यवस्था को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने पहले तो 12 लाख रुपए तक की आय को लगभग कर मुक्त कर दिया। इसके बाद जीएसटी दरों में भारी कमी कर लोगों को राहत दी। लेकिन इसके बाद भी भारत के कुल संग्रह में कोई कमी नहीं आई है। यह शानदार आर्थिक नीति का परिणाम है।
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