कनाडा एआई और क्रिटिकल मिनरल्स के मामले में करेगा सहयोग, दोनों देशों में तेजी से सुधर रहे आपसी रिश्ते

India-Canada Trade Deal (आज समाज), बिजनेस डेस्क : कनाडा और भारत के बीच पिछले कुछ समय में आपसी रिश्तों में काफी ज्यादा खटास आ गई थी। यह खटास कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साशनकाल के अंतिम समय में शिखर पर पहुंच गई थी। जिससे दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक रिश्ते काफी ज्यादा प्रभावित हुए थे। इसके बाद जब जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा दिया और कनाडा में नई सरकार ने सत्ता संभाली तो इन दोनों देशों के बीच रिश्ते तेजी से सामान्य हो रहे हैं।

यह बोले भारत के विदेश मंत्री

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संकेत दिया है कि कनाडा भारत को एआई, महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के व्यापार के साथ-साथ क्रिटिकल मिनरल्स के मामले में भी सहयोग करेगा। चीन के भारत से सुधरते संबंधों के बाद भी क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर चीन के रुख ने विश्व समुदाय में चिंता पैदा की है। माना जा रहा है कि क्रिटिकल मिनरल्स के मामले में भारत कनाडा को एक विकल्प के तौर पर रखकर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली कनाडा की विदेश मंत्री

भारत यात्रा पर आई कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद ने सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं में आपसी संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत कनाडा को एक सहयोगी देश के तौर पर देख रहा है और उसके साथ महत्त्वपूर्ण सेक्टरों में आपसी निवेश और विश्वास को बढ़ाने पर काम कर रहा है।

ज्ञात रहे कि कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंंद ने कुछ ही दिनों पहले अपना पदभार संभाला है। पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है। लेकिन अनीता आनंद की यह भारत यात्रा इस अर्थ में बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है कि इसके ठीक पहले भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने कनाडा के एनएसए से मुलाकात की थी।

सकारात्मक माहौल में आगे बढ़ रहे रिश्ते

एस जयशंकर ने सोमवार सुबह अनीता आनंद के भारत यात्रा के संदर्भ में कहा कि पीएम मोदी की कनाडाई पीएम से मुलाकात के बाद से ही यह साफ हो गया है कि भारत एक सकारात्मक माहौल में आगे बढ़ना चाहता है और वह कनाडा को एक सकारात्मक सहयोगी के तौर पर देख रहा है। एस जयशंकर ने कहा कि आज समय आ गया है कि विश्व के सभी देश मिल-जुलकर एक दूसरे को आगे बढ़ने में मदद करें। अब किसी एक देश के समृद्ध बनने से काम नहीं चलेगा बल्कि सभी देश मिलकर एक दूसरे की जरुरतें पूरी करेंगे तभी समृद्धि हासिल की जा सकेगी।

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