
Global Warming Affect On Himalayas, (आज समाज), नई दिल्ली: ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के चलते हिमालय पर पर्याप्त बर्फबारी नहीं हो रही है और इससे करोड़ों लोगों के सामने पानी का संकट खड़ा हो सकता है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) संस्था द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
भारत के 65 फीसदी हिस्से पर पड़ेगा प्रभाव
आईसीआईएमओडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह लगातार तीसरा वर्ष है जब हिंदकुश हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में सामान्य से कम बर्फबारी दर्ज की गई है। साथ ही हिमालय पर मौसमी बर्फ जमे रहने के टाइम में भी 23.6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है जो कि बीते 23 साल में सबसे कम हैं। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि बर्फबारी में कमी का भारत के 65 फीसदी हिस्से पर प्रभाव पड़ेगा और यह भाग गंगा व यमुना जैसी बड़ी नदियों से कनेक्ट है।
आठ देशों में फैली है हिंदकुश हिमालय पर्वतमाला
विशेषज्ञों के मुताबिक हिंदकुश हिमालय पर्वतमाला अफगानिस्तान से म्यांमार तक आठ देशों में फैली है। इन 8 देशों में भारत व पाकिस्तान के अलावा चीन, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश,भूटान, और अफगानिस्तान शामिल हैं। वहीं एशिया में हिंदकुश हिमालय पर्वतमाला का फैलाव 3500 किमी तक है। हिमालय पर्वतमाला के ग्लेशियर लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए ताजे पानी का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ऐसे में पर्वतमाला पर हिमपात की कमी खतरनाक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदकुश हिमालय रेंज से निकलने वाली 12 नदियों के समीप रहने वाले लगभग 200 करोड़ लोगों के लिए आने वाले समय में पानी का संकट पैदा हो सकता है।
नदियों के पानी का मुख्य स्रोत हैं ग्लेशियर
पर्यावरणविदों का कहना है कि गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र व सिंधु आदि नदियों के पानी का मुख्य स्रोत ग्लेशियर हैं। अगर बर्फबारी कम होगी तो इन नदियों के जलस्तर में भी कमी हो जाएगी। पीने के अलावा खेती व उद्योगों में भी इस पानी का इस्तेमाल होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस बार पूरी सर्दियों में औसत से कम बर्फबारी हुई है। हिंदकुश हिमालय के कई देश पहले ही सूखे की चेतावनी जारी कर चुके हैं।
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