Karnal News,(आज समाज), करनाल : पराली जलाने के खिलाफ सरकारें सख्त हो गई हैं और किसानों पर जुर्माना और अन्य कार्रवाई की जा रही है। सरकारी योजनाओं का लाभ न देने और जुर्माना लगाने जैसे सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। कृषि विभाग और प्रशासन के सहयोग सेआगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए घर- घर जाकर किसानों को पराली व फसल अवशेष में आग न लगाने और फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए प्रेरित किया गया। प्रत्येक गांव में सरपंच व जागरूक किसानों के सहयोग से ग्राम सभाएं आयोजित की गई, सुबह-शाम मंदिर व गुरुद्वारों में आग न लगाने के लिए अनाउंसमेंट करवाई गई तथा साथ ही आग लगाने वाले किसानों पर नियमानुसार कार्यवाही भी अमल में लाई गई।

जिला में पराली जलाने के मामलों में 85 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई

कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि इस वर्ष जिला में धान की फसल 4 लाख 25 हजार एकड़ में रोपित की गई थी जिसकी कटाई लगभग समाप्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि जिला में पराली जलाने के मामलों में 85 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट जागरूक किसानों व फसल अवशेष प्रबंधन अभियान से संभव हो पाई है।

अभी तक 15 किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई

डॉ वजीर सिंह ने बताया कि सेटेलाइट के माध्यम से अभी तक पराली जलाने के कुल 13 मामले सामने आये हैं जबकि पिछले वर्ष इनकी संख्या 84 थी। इसके अतिरिक्त पराली जलाने के सात मामले ग्राम स्तरीय एनफोर्समेंट टीमों द्वारा पकड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि इन सभी मामलों पर नियमानुसार कार्यवाही करते हुए अभी तक 15 किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई जा चुकी है, साथ ही नियमानुसार 30 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है और उनके मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज कर दी गयी है, जिससे ये किसान अगले दो सीजन अपनी फसल एमएसपी पर नहीं बेच पायेंगे।

फसल प्रबंधन अभियान के तहत किए गए प्रयास

उपनिदेशक वजीर सिंह ने बताया कि पराली जलाने के मामलों में कमी लाने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से प्रयास किये गए। जिला, खंड/तहसील व गांव स्तरीय कमेटी/एनफोर्समेंट टीमों का गठन किया गया, जिनमें लगभग 750 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।  साथ ही आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए घर- घर जाकर किसानों को पराली व फसल अवशेष में आग न लगाने और फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए प्रेरित किया गया। प्रत्येक गांव में सरपंच व जागरूक किसानों के सहयोग से ग्राम सभाएं आयोजित की गई, सुबह-शाम मंदिर व गुरुद्वारों में आग न लगाने के लिए अनाउंसमेंट करवाई गई तथा साथ ही आग लगाने वाले किसानों पर नियमानुसार कार्यवाही भी अमल में लाई गई।

कई बार फ्लैग मार्च निकाले गए

उन्होंने बताया कि प्रत्येक खंड में कई बार फ्लैग मार्च निकाले गए, जिसमें सम्बंधित एस.डी.एम., बी.डी.पी.ओ., पुलिस व कृषि विभाग के उच्च अधिकारी शामिल रहे। फ्लैग मार्च के दौरान किसानों से अपील की गई कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं और पराली में आग लगाने की बजाय उसे अपनी आय का साधन बनायें। इसके साथ ही जिला व खंड स्तर पर आगजनी की घटनाओं से सम्बंधित शिकायतों के समाधान के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किये गये और इन सभी कंट्रोल कक्षों के इंचार्ज की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से किसानों को दी गई ताकि किसानों की फसल अवशेष प्रबंधन से सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या का समय से निवारण किया जा सके।

कंबाइन हार्वेस्टर को सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के बिना धान की कटाई करने की अनुमति नहीं दी

उन्होंने बताया कि इस वर्ष सभी कंबाइन हार्वेस्टर मालिकों को धान की कटाई करते समय सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम लगाने के लिए नोटिस दिए गए तथा किसी भी कंबाइन हार्वेस्टर को सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के बिना धान की कटाई करने की अनुमति नहीं दी गई। जिला स्तरीय, खंड/तहसील स्तरीय व गाँव स्तरीय कमेटी/एनफोर्समेंट टीमो द्वारा  इनका निरीक्षण भी किया गया और जो भी कंबाइन हार्वेस्टर जिला करनाल में बिना सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के धान की कटाई करते हुए पाया गया उस पर नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई गई।

सभी आवेदनों में से कुल 1110 किसानों का चयन किया गया था

उप कृषि निदेशक ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के अंतर्गत जिला के किसानों को इस वर्ष भी कृषि यंत्र जैसे कि सुपर एसएमएस, बेलिंग मशीन, हैप्पी सीडर रोटरी स्लेशर/श्रबमास्टर, पैडी स्ट्रॉ चोप्पर/मल्चर,  हाइड्रोलिक रिवर्सल एम.बी. प्लो, जीरो टिल ड्रिल, सुपर सीडर, सरफेस सीडर, ट्रैक्टर चालित/स्वचालित क्रॉप रीपर/रीपर कम बाईंडर, लोडर व टेंडर मशीनों पर 50 प्रतिशत अनुदान देने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। सभी आवेदनों में से कुल 1110 किसानों का चयन किया गया था।

12 सौ रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि

उन्होंने बताया कि इन सभी कृषि यंत्रों का प्रयोग करके सभी किसान एक्स सीटू व इन सीटू विधि से फसल अवशेष प्रबंधन करके अवशेषों को खेत मे मिलाने, जलाने से रोकने, अगली फसल की सीधी बुआई करने और उन्हें एकत्रित कर चारा या अन्य उपयोग के लिए गांठें बना सकते हैं । ऐसा करने पर किसान को फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत 12 सौ रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। डॉ वजीर सिंह ने किसानों से अनुरोध किया है  कि खेतो में बची हुई पराली व फसल अवशेषों में आगजनी की घटना को अंजाम न दें व जागरूक किसान बनकर फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत 12 सौ रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाये।

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