प्रथम पूज्य देव भी कहलाते हैं गणेश जी
Ganesh Chaturthi Special, (आज समाज), नई दिल्ली: गणेश जी को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र के रूप में जाना जाता है। साथ ही गणेश जी प्रथम पूज्य देव भी कहलाते हैं, क्योंकि किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरूआत से पहले हमेशा गणेश जी का आह्वान किया जाता है। आज हम आपको गणेश जी के विवाह से जुड़ी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

तुलसी जी ने दिया था गणेश जी को श्राप

पद्मपुराण और गणेश पुराण में कथा मिलती है कि एक बार तुलसी जी ने गणेश जी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन गणेश जी ने उनसे विवाह करने से मना कर दिया। इससे तुलसी माता काफी क्रोधित हो गई और उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया कि उनके दो विवाह होंगे।

बदले में गणेश जी ने भी तुलसी जी को यह श्राप दिया कि उनका विवाह एक राक्षस से होगा। तुलसी जी के श्राप के चलते ही गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि नामक दो बहनों से हुआ।

अन्य देवी-देवताओं के विवाह में बाधा उत्पन्न करने लगे थे गणेश जी

गणेश पुराण के छठे अध्याय में भगवान गणेश के विवाह की कथा मिलती है, जिसके अनुसार, गणेश जी के लम्बोदर स्वरूप के कारण उनका विवाह नहीं हो रहा था। इससे नाराज होकर गणेश जी अन्य देवी-देवताओं के विवाह में बाधा उत्पन्न करने लगे।

इससे सभी देवता परेशान हो गए और उन्होंने अपनी समस्या ब्रह्मा जी से कही। ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं की बाद सुनी और अपनी दोनों पुत्रियों रिद्धि व सिद्धि को भगवान गणेश के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा।

ब्रह्मा जी ने गणेश जी के समक्ष रखा विवाह का प्रस्ताव

जब भी गणेश जी को किसी देवता के विवाह की खबर मिलती, तो रिद्धि-सिद्धि उनका ध्यान भटका देती थीं, ताकि वह किसी के विवाह में विघ्न न उत्पन्न कर सकें। ऐसे में सभी देवताओं के विवाह बिना किसी बाधा के सम्पन्न होने लगे। जब यह बात गणेश जी को पता लगी, तो वह उन दोनों पर बहुत क्रोधित हो गए।

इस दौरान वहां ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि से विवाह करने का प्रस्ताव दिया। गणेश जी ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और उनका विवाह रिद्धि-सिद्धि के साथ सम्पन्न हुआ।

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