इसलिए अमेरिका दे रहा चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी
US-China Trade War (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान समय में विश्व की दो आर्थिक माहशक्तियां अपने-अपने व्यापारिक हितों को लेकर आमने-सामने हैं। इस व्यापारिक प्रतिद्वंदता का कारण है दोनों देशों के बीच रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) को लेकर चल रही तनातनी। चीन और अमेरिका के बीच यह विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा है।
जैसे-जैसे देश साफ ऊर्जा और उन्नत तकनीकों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, कुछ ऐसी धातुएं, जिन्हें दुर्लभपृथ्वी तत्व (रेयर अर्थ एलिमेंट्स ) कहा जाता है, रणनीतिक रूप ले चुकी हैं और आधुनिक नवाचार की रीढ़ बनकर उभरी हैं। ये तत्व न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन टरबाइन तक सीमित हैं, बल्कि उपग्रहों, रक्षा प्रणालियों और अत्याधुनिक तकनीकों को संचालित करने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
चीन का आरईई पर एकतरफा स्वामित्तव
हालांकि दुनिया भर में इनकी खदानें मौजूद हैं लेकिन उत्पादन और रिफाइनिंग कुछ ही देशों के हाथ में है। इसमें चीन प्रमुख है, जो वैश्विक खनन का 69 प्रतिशत और रिफाइनिंग की 90 प्रतिशत क्षमता पर नियंत्रण रखता है। चीन का प्रभुत्व दशकों से चले आ रहे सरकारी निवेश और कम उत्पादन लागत से उपजा है। इसने आरईई को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक रणनीतिक ताकत बना दिया है। पूर्व चीनी नेता देंग शियाओपिंग ने एक बार कहा था कि पश्चिम एशिया में तेल हैं तो चीन के पास रेयर अर्थ एलिमेंट्स हैं।
चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध में चीन भारी
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी व्यापार युद्ध में ड्रैगन रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर अपनी बढ़त का फायदा उठा रहा है। इन धातुओं पर चीन ने हालिया प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए हैं जब शी और ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एपीईसी शिखर सम्मेलन में मिलने वाले हैं। अपने सबसे हालिया कदम में, चीन ने पांच दुर्लभ रेयर अर्थ मैटेरियल्स- होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम, यटरबियम, और संबंधित चुम्बक व पदार्थ- को अपनी मौजूदा नियंत्रण सूची में शामिल कर लिया है। अब इनके निर्यात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी। चीन के इस कदम से प्रतिबंधित रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कुल संख्या 12 हो गई है। चीन से देश के बाहर दुर्लभ मृदा निर्माण तकनीकों के निर्यात के लिए भी अब लाइसेंस जरूरी होगा।
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