शनिदेव होंगे प्रसन्न
Shani Pradosh Vrat Mantra Jaap, (आज समाज), नई दिल्ली: शनि प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है जो हर महीने में दो बार आता है। इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। व्रत का पालन करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इस दिन साधक भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनके लिए कठिन व्रत का पालन करते हैं। आज शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान शनि की पूजा करने से शनि दोष से राहत मिलेगी। ऐसे में सुबह उठें और स्नान के बाद पीपल वृक्ष में जल चढ़ाएं और उसके सामने ही खड़े होकर शनि देव के 108 नामों का जप करें, जो इस प्रकार हैं।
शनिदेव के 108 नाम।।
- ऊँ शनैश्चराय नम:
- ऊँ शान्ताय नम:
- ऊँ सवार्भीष्टप्रदायिने नम:
- ऊँ शरण्याय नम:
- ऊँ वरेण्याय नम:
- ऊँ सवेर्शाय नम:
- ऊँ सौम्याय नम:
- ऊँ सुरवन्द्याय नम:
- ऊँ सुरलोकविहारिणे नम:
- ऊँ सुखासनोपविष्टाय नम:
- ऊँ सुन्दराय नम:
- ऊँ घनाय नम:
- ऊँ घनरूपाय नम:
ऊँ घनाभरणधारिणे नम: - ऊँ घनसारविलेपाय नम:
- ऊँ खद्योताय नम:
- ऊँ मन्दाय नम:
- ऊँ मन्दचेष्टाय नम:
- ऊँ महनीयगुणात्मने नम:
- ऊँ मर्त्यपावनपदाय नम:
- ऊँ महेशाय नम:
- ऊँ छायापुत्राय नम:
- ऊँ शर्वाय नम:
- ऊँ शततूणीरधारिणे नम:
- ऊँ चरस्थिरस्वभा वाय नम:
- ऊँ अचञ्चलाय नम:
- ऊँ नीलवर्णाय नम:
- ऊँ नित्याय नम:
- ऊँ नीलाञ्जननिभाय नम:
- ऊँ नीलाम्बरविभूशणाय नम:
- ऊँ निश्चलाय नम:
- ऊँ वेद्याय नम:
- ऊँ विधिरूपाय नम:
- ऊँ विरोधाधारभूमये नम:
- ऊँ भेदास्पदस्वभावाय नम:
- ऊँ वज्रदेहाय नम:
- ऊँ वैराग्यदाय नम:
- ऊँ वीराय नम:
- ऊँ वीतरोगभयाय नम:
- ऊँ विपत्परम्परेशाय नम:
- ऊँ विश्ववन्द्याय नम:
- ऊँ गृध्नवाहाय नम:
- ऊँ गूढाय नम:
- ऊँ कूर्माङ्गाय नम:
- ऊँ कुरूपिणे नम:
- ऊँ कुत्सिताय नम:
- ऊँ गुणाढ्याय नम:
- ऊँ गोचराय नम:
- ऊँ अविद्यामूलनाशाय नम:
- ऊँ विद्याविद्यास्वरूपिणे नम:
- ऊँ आयुष्यकारणाय नम:
- ऊँ आपदुद्धर्त्रे नम:
- ऊँ विष्णुभक्ताय नम:
- ऊँ वशिने नम:
- ऊँ विविधागमवेदिने नम:
- ऊँ विधिस्तुत्याय नम:
- ऊँ वन्द्याय नम:
- ऊँ विरूपाक्षाय नम:
- ऊँ वरिष्ठाय नम:
- ऊँ गरिष्ठाय नम:
- ऊँ वज्राङ्कुशधराय नम:
- ऊँ वरदाभयहस्ताय नम:
- ऊँ वामनाय नम:
- ऊँ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नम:
- ऊँ श्रेष्ठाय नम:
- ऊँ मितभाषिणे नम:
- ऊँ कष्टौघनाशकर्त्रे नम:
ऊँ पुष्टिदाय नम: - ऊँ स्तुत्याय नम:
- ऊँ स्तोत्रगम्याय नम:
- ऊँ भक्तिवश्याय नम:
- ऊँ भानवे नम:
- ऊँ भानुपुत्राय नम:
- ऊँ भव्याय नम:
- ऊँ पावनाय नम:
- ऊँ धनुर्मण्डलसंस्थाय नम:
- ऊँ धनदाय नम:
- ऊँ धनुष्मते नम:
- ऊँ तनुप्रकाशदेहाय नम:
- ऊँ तामसाय नम:
- ऊँ अशेषजनवन्द्याय नम:
- ऊँ विशेशफलदायिने नम:
- ऊँ वशीकृतजनेशाय नम:
- ऊँ पशूनां पतये नम:
- ऊँ खेचराय नम:
- ऊँ खगेशाय नम:
- ऊँ घननीलाम्बराय नम:
- ऊँ काठिन्यमानसाय नम:
- ऊँ आर्यगणस्तुत्याय नम:
- ऊँ नीलच्छत्राय नम:
- ऊँ नित्याय नम:
- ऊँ निगुर्णाय नम:
- ऊँ गुणात्मने नम:
- ऊँ निरामयाय नम:
- ऊँ निन्द्याय नम:
- ऊँ वन्दनीयाय नम:
- ऊँ धीराय नम:
- ऊँ दिव्यदेहाय नम:
- ऊँ दीनार्तिहरणाय नम:
- ऊँ दैन्यनाशकराय नम:
- ऊँ आर्यजनगण्याय नम:
- ऊँ क्रूराय नम:
- ऊँ क्रूरचेष्टाय नम:
- ऊँ कामक्रोधकराय नम:
- ऊँ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नम:
- ऊँ परिपोषितभक्ताय नम:
- ऊँ परभीतिहराय नम:
- ऊँ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नम:।।