Chandigarh News: सचमुच जीवन का महानतम आनंद देने में है

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Chandigarh News:  आनंद ही हम सबके जीवन का उद्देश्य है। बताएँ, जीवन में सबसे ज्यादा आनंद किस चीज में आता है ? देने में ! ये बात आमतौर पे बोला जाए कि जीवन का सबसे बड़ा आनंद देने में है, तो यही जवाब आएगा कि “कहना आसान है। मैं तो इस वक्त जिंदा रहने और महीने का खर्च चलाने के लिए संघर्ष कर रहा/रही हूँ, इसिलिए मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है। मगर सच इससे अलग है, सचमुच जीवन का महानतम आनंद देने में है, क्योंकि जब तक हम देंगे नहीं, तब तक हम जिंदा रहने के लिए हमेशा संघर्ष ही करते रहेंगे। जीवन में एक के बाद एक समस्याएँ आती रहेंगी और जब आपको सब कुछ ठीक-ठाक लग रहा होगा, तभी कोई नई चीज आकार आपको दोबारा संघर्ष और मुश्किल के दौर में धकेल देगी। है। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24सी अणुव्रत भवन तुलसीसभागार मे कहे।

मनीषीसंत ने आगे कहा जीवन का महानतम आनंद देने में है और जीवन में आप सिर्फ एक ही चीज दें सकते हैं  –  अपना प्रेम ! आपका प्रेम, आपका आनंद, आपकी सकारात्मकता, आपका रोमांच, आपकी कृतज्ञता और आपका जोश ही जीवन की वास्तविक और हमेशा कायम रहने वाली चीजें हैं। संसार की सारी दौलत भी सृष्टि के सबसे अनमोल उपहार – आपके भीतर के प्रेम — के करीब भी नहीं आ सकती।   अत: अपना सर्वश्रेष्ठ दें ! अपना प्रेम बाँटें, क्योंकि यही संसार की सभी प्रकार की संपत्तियों को खींचनेवाली चुंबक है। इससे किसी का जीवन उनकी कल्पना से भी ज्यादा समृद्ध हो जाएगा, क्योंकि प्रेम देकर आप अपने जीवन का उद्देश्य पूरा कर रहे हैं। जब आप प्रेम देंगे, तो बदले में आपको इतना ज्यादा प्रेम मिलेगा कि आपको महसूस होगा कि इतना तो अपने बूते के बाहर है।  लेकिन हम सब असीमित प्रेम और आनंद ले सकते हैं, क्योंकि यही हम सभी का वास्तविक स्वरूप है।

मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया  हर क्षण में विचार के बजाय जिंदगी जीने का फैसला करना ही ज्ञान है और सोचना इस क्षण को गंवा देने की तरह होगा। ज्ञान हासिल हो जाने का मतलब यही है कि हम हर क्षण को पूरी सजगता से जिएं। आने वाले क्षण के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। वह आ भी सकता है और नहीं भी। आप जो संतुष्टि हासिल करते हैं वह सच्ची संतुष्टि है। ऐसी संतुष्टि जो आती है और चली जाती है वह सच्ची संतुष्टि नहीं हो सकती है। यह तो दो दुखद स्थितियों के बीच की स्थिति है। हमें इस परिभाषा को समझना चाहिए कि कोई भी चीज जो आकर बनी रहती है वही सचाई है। हमें ज्ञान शब्द से घबराना नहीं चाहिए। आप इसे क्या कहते हैं यह मायने नहीं रखता है। आप इसे आनंद की अवस्था भी कह सकते हैं। आप इसे चाहे जो भी कहें। लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए यह केवल शुरुआत है इसका कोई अंत नहीं है।