- छात्र ले सकेंगे आचार्य की उपाधि, हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघौला ने ने दान की 12 एकड़ जमीन
Palwal News, आज समाज , पलवल : राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित गांव बघौला केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ ने अपनी 12 एकड़ जमीन विश्वविद्यालय के नाम दान कर दी गई है। शिक्षाविदों की मानें तो इससे हरियाणा व आसपास के राज्यों के युवाओं में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ेगी और वह आचार्य आदि उपाधि लेकर अपना करियर सवांरेंगे। इससे संस्कृत के क्षेत्र में शोध और विकास भी आसान होगा।
हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ परिसर का किया दौरा
बता दें कि संस्कृत की पढ़ाई आसान हो, इसको लेकर मौजूदा समय मे देश मे करीब 13 संस्कृत विश्वविद्यालय है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो गांव बघौला मे यह 14वां विश्वविद्यालय होगा। बृहस्पतिवार को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की शाखा का विस्तार करने के लिए विश्वविद्यालय के कुलसचिव गायत्री मुरारी कृष्ण व उनके साथ अन्य अधिकारियों ने बघौला स्थित हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ परिसर का दौरा किया।
विद्या प्रचारिणी सभा एवं प्रधानाचार्य डॉ.पशुपतिनाथ मिश्र ने संस्कृत विश्वविद्यालय बनाए जाने के लिए पलवल रजिस्ट्रार कार्यालय से विद्यापीठ की जमीन दान करने से जुड़े दस्तावेज तैयार करवाकर उन्हें सौंपे। इस मौके पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से कुलपति की टीम में शामिल आदर्श योजना प्रभारी प्रो. कुलदीप शर्मा,शैक्षिक परामर्शदाता मंगेश इंदापवार, वित्त अधिकारी संजीव गोयल, डिप्टी डायरेक्टर (एडमिन) कृष्ण कुमार केटी, लीगल ऑफिसर आशीष पाठक, एडवोकेट, एडवोकेट लक्ष्य तायल, बघोला सरपंच तुलाराम वशिष्ठ भी मौजूद रहे।
विश्वविद्यालय बनने की सूचना से ग्रामीणों में खुशी
गांव बघौला मे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बनने की जानकारी पाकर ग्रामीण ख़ुश हैं। उनका कहना है कि इससे बच्चों मे संस्कृत पढऩे के प्रति रूचि बढ़ेगी। लिहाजा जमीन दान करने के बाद हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ परिसर में स्वागत समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें गांव के सरपंच व गणमान्य लोगों ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से पहुंची टीम का फूल मालाओं से स्वागत कर आभार जताया।
साल 2008 से विश्वविद्यालय बनाने का है प्रयास
विश्वविद्यालय के कुलसचिव गायत्री मुरारी कृष्ण ने बताया कि हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ विद्यापीठ को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए वर्ष 2008 से प्रयास चल रहा है। किन्हीं कारणों से यह नहीं हो सका था। कुछ समय पहले गांव के सरपंच सहित कुछ मौजिज लोग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेडी से मिले। जहां इस विद्यापीठ को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव रखते हुए जमीन दान देने की बात कही। कुलपति जी ने सहर्ष स्वीकार इसे स्वीकार किया। बुधवार को जमीन दान की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य
कुलसचिव गायत्री मुरारी कृष्ण ने कहा कि जमीन मिलने के बाद अब शीघ्र ही विश्वविद्यालय बनाने की कार्यप्रणाली शुरू कर दी जाएगी। दिल्ली मुख्यालय के विस्तार परिसर के रूप में इसका पूर्ण रूप से विकास किया जाएगा। सरकार से इसकी अनुमति लेकर जल्द डीपीआर तैयार कराकर नए भवन बनाने व शैक्षणिक कोर्स शुरू करने पर काम किया जाएगा। एकेडमिक काउंसिल से अनुमति लेकर यहां नए शैक्षणिक कोर्स शुरू किए जाएंगे।
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