• 400 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर में विराजमान है पहाड़ी माता, मनोकामना पूर्ण करती है पहाड़ी माता
  • राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल सहित दूरदराज से आते है भक्तजन

Bhiwani News(आज समाज) : लोहारू। लोहारू उपमंडल के गांव पहाड़ी में करीब 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर में लगी माता की दिव्य प्रतिमा अनायास ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। नवरात्र पर्व के दौरान यहां विशाल मेला लगता है तथा क्षेत्र ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, पश्चिम बंगाल, असम सहित अनेक राज्यों के श्रद्धालु माता के मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आते है। क्षेत्र के प्रत्येक गांव के घर-घर में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की पूजा होती है।

मंदिर में माता के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की थकान पहाड़ी माता की दिव्य प्रतिमा के आलौकिक दर्शन करने मात्र से ही दूर हो जाती है। नवरात्रि के दौरान कुलदेवी के मंदिर में हाजिरी लगाने के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहाड़ी माता मंदिर में पहुंच रहे है। पूरे नवरात्र के दौरान ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।

पहाड़ी की चोटी पर स्थित भव्य मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त माता के मंदिर में मनोकामनाएं लेकर आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा जो भक्त एक बार पहाड़ी माता के दर्शनों के लिए आता है, वह सदैव के लिए माता का भक्त बन जाता है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित भव्य मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित की गई है। पहाड़ी पर चढऩे के लिए घुमावदार सीढिय़ां भी बनी हुई हैं तथा इसके प्रत्येक घूमाव पर हनुमान, श्री कृष्ण, शिवजी, संतोषी माता, शनिदेव महाराज सहित सभी देवी देवताओं की अति सुंदर प्रतिमाएं भी मनमोहक ढ़ंग से स्थापित की गई हैं।

एक प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में माता की प्रतिमा पर स्वर्ण देखकर डाकुओं ने लूट के उद्देश्य से प्रतिमा को खंडित कर दिया और वे इसे उठाकर चले ही थे कि पहाड़ी माता ने उन्हें पहाड़ से उतरते समय अंधा कर दिया। परिणामस्वरूप वे पहाड़ी से उतरते समय गिर गए व उनकी मौत हो गई। डाकू माता की सोने की नथ आदि लेकर अर्थात माता की नाक काटकर भागे थे इसलिए इसे नकटी माता के नाम से भी जाना जाता है, तथा जहां डाकू गिरकर मरे थे वहां अब नकीपुर गांव बसा है।

पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे

दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए यहां आते थे व पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे। क्षेत्र के भक्त माता के दर्शनों के साथ अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार भी यहीं करवाते है। प्रतिवर्ष चैत्र व आश्विन माह में नवरात्रों के दौरान यहां मेला लगता है, जिसमें हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान व कोलकाता से आने वाले लाखों भक्त माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। नवरात्र पर्व के दौरान आयोजित होने वाले मेले में सभी व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा पूरी की जाती है तथा यहां प्रशासन मेले के समय पूरी तरह से मुस्तैद रहता है।

खेलकूद प्रतियोगिताओं व कुश्ती दंगल का आयोजन

मेले के दौरान ग्रामीणों द्वारा खेलकूद प्रतियोगिताओं व कुश्ती दंगल का भी आयोजन किया जाता है। क्षेत्र में पहाड़ी माता के प्रति अटूट श्रद्धा व भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पैदल जत्था के रूप में बच्चे एवं महिलाएं भी काफी संख्या में पहाड़ी माता के मंदिर में शीश झुकाने के लिए पैदल रवाना होते है तथा हर घर में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की पूजा होती है।

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