कहा, किसी भी संयुक्त बैठक से सात दिन पहले देनी होती है जानकारी
Punjab-Haryana Water Dispute (आज समाज), चंडीगढ़ : पिछले कई दिन से पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद को लेकर कोई परिणाम निकलता दिखाई नहीं दे रहा। गत दिवस भाखड़ा बयास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करते हुए पंजाब के जल संसाधन और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) केंद्र सरकार के दवाब में काम कर रहा है और इसी के चलते पंजाब ने बैठक में भाग नहीं लिया।
बीबीएमबी ने किया प्रोटोकॉल का उल्लंघन
बैठक को पूरी तरह से असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार देते हुए गोयल ने कहा कि 255वीं विशेष बैठक बुलाने के लिए उचित प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि 1976 विनियमन के नियम-3 के तहत बीबीएमबी को बैठक बुलाने से पहले सात दिनों का नोटिस देना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हम बैठक में तब तक भाग नहीं लेंगे, जब तक बीबीएमबीउचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता। बीबीएमबी के अध्यक्ष को सख्त शब्दों में लिखे पत्र में पंजाब सरकार ने बैठक से पहले बीबीएमबी के समक्ष अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया था। राज्य सरकार ने लिखा है कि यह बैठक अनुचित तरीके से और स्थापित नियमों का उल्लंघन करके बुलाई गई है।
कैबिनेट मंत्री ने पत्र में इस नियम का किया उल्लेख
पत्र में स्पष्ट रूप से पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत जारी किए गए बीबीएमबी के विनियमन के नियम-3 का हवाला देते हुए लिखा गया है कि किसी भी जरूरी मुद्दे के लिए बुलाई जाने वाली विशेष बैठकों के लिए सभी सदस्यों को कम से कम सात दिनों का नोटिस देना जरूरी है। बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि 28 अप्रैल और 30 अप्रैल, 2025 को हुई बीबीएमबी की हालिया बैठकें भी अनिवार्य नोटिस अवधि का पालन किए बिना बुलाई गई थीं। इन बैठकों के लिए नोटिस क्रमश: 27 अप्रैल और 29 अप्रैल को निर्धारित तिथियों से सिर्फ एक दिन पहले जारी किए गए, जिससे इन बैठकों के दौरान लिए गए कोई भी फैसले कानूनी तौर पर संदिग्ध हो गए हैं।
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