राज्य के पानी को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने का संकल्प लिया
Punjab-Haryana Water Conflict (आज समाज), चंडीगढ़ : पिछले कुछ दिनों से पानी को लेकर हरियाणा व केंद्र सरकार के साथ चल रहे मतभेदों के बाद पंजाब के सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आ चुके हैं। इस गंभीर मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेता शामिल हुए और उन्होंने पंजाब के पानी को बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने का संकल्प लिया। बैठक में बीबीएमबी के हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के फैसले की भी निंदा की गई और कहा गया कि केंद्र सरकार बीबीएमबी और पंजाब सरकार पर दवाब डालकर धक्के से पंजाब का पानी छीनने की कोशिश कर रही है।
ये प्रमुख नेता रहे मौजूद
पंजाब भवन में बुलाई गई बैठक के दौरान कांग्रेस से पूर्व स्पीकर राणा केपी सिंह और पूर्व मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, शिरोमणि अकाली दल से वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा, भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, पूर्व सांसद व बसपा के प्रदेश प्रमुख अवतार सिंह करीमपुरी, सीपीएम के सचिव सुखविंदर सिंह सेखों और सीपीआई के सचिव बंत सिंह बराड़ सहित राजनीतिक नेताओं ने बैठक बुलाने के लिए मुख्यमंत्री की स्पष्ट रूप से सराहना की।
उन्होंने सर्वसम्मति से कहा कि भगवंत सिंह मान ने पंजाब के पानी को बचाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने का दूरदर्शी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य सरकार नदी के पानी के मुद्दे पर पंजाब के हितों की रक्षा के लिए सभी कानूनी, राजनीतिक और प्रशासनिक तरीकों की पड़ताल करे।
सभी दलों ने मुख्यमंत्री का समर्थन करने का भरोसा दिलाया
सभी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री से नदियों के पानी के इस मुद्दे पर पंजाब और इसके लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने की अपील की और इस कार्य के लिए उन्हें पूर्ण समर्थन व सहयोग देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने मुख्यमंत्री की मानवता के आधार पर हरियाणा को पीने के पानी की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रतिदिन 4000 क्यूसेक पानी देने की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि यह एक नेक पहल है, लेकिन जिस तरह हरियाणा सरकार और बीबीएमबी ने हमारे पानी को छीनने के लिए तानाशाही और पंजाब विरोधी रवैया अपनाया है, वह अत्यंत निंदनीय है। राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी में पंजाब सरकार के अधिकारियों में से नियुक्त सदस्य (पावर) को हटाकर पंजाब को कमजोर करने की तानाशाही की भी निंदा की।
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