- निजी स्कूल विद्यार्थियों को लाने व छोड़ने के लिए मैजिक वैन का प्रयोग कर रहे उडा रहे नियमों की धज्जियां
Panipat News, (आज समाज), पानीपत : निजी स्कूलों की बसों को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। बिना सुरक्षा मानक पूरा किए बगैर जिले में निजी स्कूल वाहन दौड़ रहे हैं। कई निजी स्कूलों की बसें बिना फिटनेस के चल रही हैं, ये ही नहीं कुछ बसों में तो सहायक तक नहीं है। यहां तक कि कई स्कूलों के वाहनों के रंग तक पीला नहीं हैं। संबंधित अधिकारी बसों की चेकिंग तक नहीं कर रहे हैं। इसके चलते निजी स्कूल संचालकों के भी हौसले बढ़ रहे हैं और बिना नियमों को पूरा कर वाहनों को दौड़ा रहे हैं। हरियाणा के पानीपत में एक स्कूल वाहन को बिना नाम के देखा गया, जो सरासर सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ उड़ा रहा है।
अधिकारी भी वाहनों की चेकिंग नहीं कर रहे
अप्रैल माह में हुए गत वर्ष कनीना स्कूल बस हादसे के समय सरकार व प्रशासन सख्ती में आए थे, मामला ठंडा होते ही अधिकारी भी वाहनों की चेकिंग नहीं कर रहे हैं। पड़ताल में सामने आया कि कई निजी स्कूल विद्यार्थियों को लाने व छोडऩे के लिए मैजिक वैन व ई-रिक्शा का प्रयोग कर रहे हैं। उनका रंग तक पीला नहीं करवाया गया है। निजी स्कूलों की बसों में सहायक का होना जरूरी है। सहायक की ड्यूटी रहती है कि वह विद्यार्थी को बस में चढ़ाए और उतारे। इसके अलावा बस के अंदर सीटों को लेकर संतुलन बनाए रखे। लेकिन अधिकतर बसों में सहायक ही नहीं हैं।
स्कूल संचालक कोई भी शिकायत नंबर नहीं लिख रहे
नियमों के अनुसार स्कूल बस के शीशे पर किसी भी प्रकार का बैनर नहीं लगा होना चाहिए। लेकिन स्कूल संचालक अपने स्कूल का बैनर पीछे वाले बड़े शीशे पर लगवाकर रखते है। स्कूल बस के पीछे वाली तरफ पेंट से स्कूल का नाम व चालक की लापरवाही करने पर शिकायत नंबर होना जरूरी है। लेकिन स्कूल संचालक कोई भी शिकायत नंबर नहीं लिख रहे हैं।
2024 में स्कूल बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी, 6 बच्चों की मौत हो गई थी
बता दें कि महेंद्रगढ़ जिले के कनीना कस्बे के पास अप्रैल 2024 में हुआ एक दुखद सडक़ हादसा हुआ था, जिसमें एक निजी स्कूल बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी, जिसके परिणामस्वरूप 6 बच्चों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थें इस हादसे में ड्राइवर के नशे में होने का आरोप लगा था और यह हादसा स्कूल बसों की सुरक्षा और प्रशासन की लापरवाही पर बड़े सवाल खड़े कर गया था, जिसके बाद कोर्ट और प्रशासन द्वारा जांच व कार्रवाई की मांग उठी थी,लेकिन इसके बाद भी प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाए जा रहे है।
ये मानक हैं जरूरी
- खिड़कियों में शीशे के साथ जाली लगा होना।
- ब्रेक, स्टेयरिंग, टायर दुरुस्त होना।
- स्पीड डिवाइस यंत्र का लगा होना।
- चालक का ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य।
- स्कूल बसों का पीला रंग में होना, आगे पीछे स्कूल बस लिखा होना।
- वाहनों पर स्कूल का नाम व फोन नंबर अंकित होना।
- वाहनों में आग बुझाने के लिए आवश्यक संयंत्र का होना।
- बस के दरवाजे में मजबूत लॉक का होना।
- फर्स्ट एड बॉक्स का होना।
- चालक के साथ एक सहायक का होना।
- स्कूल बसों में जीपीएस के साथ सीसीटीवी कैमरा होना।
सख्त कार्यवाही की जाएगी
इस विषय में बापौली थाना प्रभारी विरेन्द्र सिंह का कहना है कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही कार्यभार संभाला है। कल से ही हमारी पूरी टीम स्कूलों में जाकर बसों की चेकिंग करेगी, जिस स्कूल की बस पर स्कूल का नाम व अन्य जरूरी फोन नम्बर नही लिखें होंगे,उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।