नई दिल्ली। दिल्ली बॉर्डर पर किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यह किसान हजारों की संख्या में लगभग 21 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसान आंदोलन से संबंधित याचिका की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। न्यायालय में कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाईहुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा। देश की सबसे बड़ी अदालन ने बुधवार को कहा कि एक कमेटी बना सकती है जिसमें किसान संगठनों के लोग भी होंगे ताकि गतिरोध टूटे और किसानों का धरना समाप्त हो। आज सुनवाई के दौरान कृषि काननों के मसले पर कोर्ट ने कहा कि आज हम तय करेंगे किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकार। कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का हक है, लेकिन ये कैसे हो इसपर चर्चा हो सकती है। कोर्टने किसानों के आंदोलन प्रदर्शन के अधिकारोंकम नहीं किया जा सकता है। केवल एक चीज जिस पर हम गौर कर सकते हैं, वह यह है कि इससे किसी के जीवन को नुकसान नहीं होना चाहिए। बता दें कि कल दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को हटाने के लिए याचिका दायर की गईथी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी बातचीत कर रही है उसके नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं, यदि समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो यह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। यदि ऐसा हुआ जो कठिनाई आ सकती है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी किसान यूनियन को पक्ष बनाया जाए।
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