डीसी अनीश यादव ने गांव बालू में किया औचक निरीक्षण, पराली जलाने की घटना को लेकर सम्बन्धित किसान को तुरंत नोटिस जारी

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DC Anish Yadav did surprise inspection in village sand

इशिका ठाकुर,करनाल :

  • डीसी ने किसानों से अपील की कि आज का तकनीकी युग पराली को जलाने का नहीं, बल्कि पराली से पैसे कमाने का।

उपायुक्त अनीश यादव ने मंगलवार को निसिंग ब्लॉक का औचक निरीक्षण किया और निरीक्षण के दौरान गांव बालू में खेत में जल रही पराली को देखकर सम्बन्धित किसान नेपाल सिंह को तुरंत नोटिस जारी करने व जुर्माना लगाने के निर्देश दिए।

पराली बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता

उपायुक्त ने कहा कि आज का तकनीकी युग पराली को जलाने का नहीं, बल्कि पराली से पैसे कमाने का है। आज किसान के पास पराली प्रबंधन के लिए अनेक आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध है जिनके माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन करके पराली की बेल बनाई जा सकती है और इन्हें बेचकर अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा इन कृषि यंत्रों की उपलब्धता के लिए जिला में 702 कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए गए है। इन कस्टम हायरिंग सेंटर पर किसानों के समूहों के पास फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैपी सीडर, पैडी स्ट्रा चोपर श्रेडर/मल्चर, शर्ब मास्टर, रिवरसीबल एम बी प्लो, रोटरी स्लेशर, जीरों टिल ड्रिल मशीन तथा रोटावेटर जैसे सभी आधुनिक कृषि यंत्र मौजूद है, यही नहीं जिला में लगभग 250 बेलर भी उपलब्ध है, जिनके माध्यम से बेहतर पराली प्रबंधन किया जा सकता है।

करनाल में पराली खरीदने वाले 3 यार्ड

उपायुक्त ने यह भी बताया कि जिला में बड़ी संख्या में किसानों को इस बारे में जागरूक किया गया है। इसी के फलस्वरूप अब तक पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुए है और फसल अवशेष प्रबंधन करते हुए किसानों ने पराली की गांठे बनाई है। यही नहीं पराली प्रबंधन करने वाले किसान को सरकार की ओर से 1 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस योजना के तहत जिला में 4 करोड़ 36 लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि वितरित की जा चुकी है। उपायुक्त ने बताया कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने करनाल में पराली खरीदने के लिए 3 यार्ड बनाए हैं, पंचायत विभाग ने आईओसीएल को गांव बम्बरेहड़ी, गगसीना और सिरसी में करीब 58 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई है। आईओसीएल 180 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली की खरीद करेगा और निर्धारित समय में किसान को भुगतान करेगा।

फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण दूषित होगा

उपायुक्त ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि फसलों के अवशेष जलाने से पर्यावरण भी बुरी तरह से दूषित होता है। जबकि आज के समय में पर्यावरण संरक्षण की जरूरत है। इसके लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है। एकजुटता के साथ हमें इस दिशा में प्रयास करने होंगे। इसमें किसान फसलों के अवशेष जलाने की बजाय उचित प्रबंधन करके बेहतरीन सहयोग दे सकते हैं। अवशेष जलाने से श्वास के रोगियों के लिए भी अत्यधिक परेशानियां उत्पन्न होती है। जिला प्रशासन फसल अवशेष जलाने को लेकर सख्त है। जिला में फसल अवशेषों को न जलाया जाए, इसके लिए जिलास्तर, उपमण्डल स्तर, खंड तथा ग्राम स्तर पर निगरानी कमेटियां भी गठित की गई है। इस पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। अत: किसानों को फसलों के अवशेष नहीं जलाने चाहिए।

इस मौके पर बीडीपीओ गुरमलक सिंह, बिजली विभाग के सुपरवाईजर रामभज, निसिंग के एसएचओ मौके पर उपस्थित रहे।

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