नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :
कोई भी बड़ा परिवर्तन महिलाओं के योगदान के बिना नहीं हो सकता। प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण में भी महिलाओं का योगदान अविस्मरणीय रहा है। उक्त उद्गार गांव पाली स्थित मोक्ष धाम पर मातृशक्ति द्वारा शुरू किए गए वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचार प्रमुख कैलाश पाली ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पर्यावरण संरक्षण के लिए जितने भी आंदोलन हुए हैं उसमें महिलाओ की भूमिका सदैव अग्रणी रही है । जोधपुर के खेजड़ली गांव की वीरांगना अमृता देवी का अपनी तीन बेटियों के साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु दिया गया बलिदान इतिहास के पन्नो का एक स्वर्णिम अध्याय है। भारत की संस्कृति में मातृशक्ति हमेशा घर में तुलसी और केले के पौधों को सीच कर आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाती रही है, इसी प्रकार पीपल में प्रतिदिन जल चढ़ाकर मानव जीवन में उसके महत्व को बताने का कार्य करती है। वर्तमान समय में विकास की इस प्रक्रिया में वायु जहरीली हो गई है, नदिया नालों में बदल गई हैं, जीव जंतुओं की प्रजाति विलुप्त हो गई है इसके लिए आधुनिक उपभोक्तावादी शैली और प्रकृति का शोषण जिम्मेदार है। पाली ने कहा की महिलाएं अपने बच्चों में जन्म से ही प्रकृति के प्रति प्रेम ओर लगाव पैदा करें वर्तमान में बच्चे प्रकृति से विमुख होते जा रहे हैं ऐसे में महिलाओं का दायित्व और भी बढ़ जाता है कि वह अपनी संतानों को प्रकृति के प्रति उनका कर्तव्य क्या है, यह समझाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इस मौके पर नीलम, सरिता, कृष्णा, पुष्पा, महिमा, सुदेश, रेनू, महेंद्र, संजय, अमर सिंह, परवीन, नवीन, राहुल, कृष्ण आदि ने पानी बचाने, पेड लगाने, पोलोथीन के इस्तेमाल को रोकने की शपथ लेते हुए मोक्ष धाम पर 11 त्रिवेणी और 50 नीम के पौधे लगाए। उन्होंने बताया कि बीते 2 वर्ष पहले लगाए गए 200 पौधे अब बड़े पेड़ नजर आने लगे हैं। इस अवसर पर सभी महिलाओं ने एक-एक पौधे को गोद लेकर पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करने का संकल्प भी लिया।