Supreme Court’s automatic cognizance of the painful condition of migrant workers, the responsibility of the state governments to send migrants home – Supreme Court: प्रवासी श्रमिकों की दर्दनाक हालत पर सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान, प्रवासियों को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की- सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्टनेकोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन में परेशान हो रहेप्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान प्रवासी श्रमिकों की दयनीय स्थिति के बारे में सरकार से पूछा था कि स्थिति में सुधार के लिए आखिर क्या कदम उठाए गए हैं। जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह ने केन्द्र, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजते हुए 28 मई तक जवाब देने के लिए कहा था। बता देंकि देश भर में हजारों लाखों प्रवासी श्रमिक सड़कों पर हैं। वह हजारों किलो मीटर की पैदल यात्राएं कर रहे हैं। भूख प्यास से बेबस मजबूर होकर अपने गृह राज्य पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण से देश के कोने-कोने में रह रहे प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। घर लौटने के दौरान कई मजदूरों की भूख प्यास या दुर्घटना के कारण मौत हो गई है। हद्वय विदारक घटना महाराष्टÑ से समने आई थी जहां पटरी पर सो रहे मजदूरों की ट्रेन से कटने से मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना ने देश को झकझोर दिया था।सुप्रमीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘पैदल चल रहे मजदूरों को जल्द आश्रय स्थल पर ले जाएं और उन्हें सारी सुविधाएं दें।’हमें इस बात की चिंता है कि प्रवासी मजदूरों को घर वापस जाने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमने नोटिस किया है कि रजिस्ट्रेशन की प्रकिया, ट्रांसपोटेशन के साथ-साथ उनके खाने-पीने के इंतजाम में काफी खामियां हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।

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