Supreme Court takes automatic cognizance on the death of a four-month-old child in Shaheen Bagh demonstration, sent notice to Delhi and Central Government: शाहीन बाग प्रदर्शन में चार महीने के बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, भेजा दिल्ली और केंद्र सरकार को नोटिस

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नई दिल्ली। शाहीन बाग में दिसंबर माह से लगातार प्रदर्शन हो रहा है। शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ महिलाएं प्रदर्शन कर रहीं हैं। इस प्रदर्शन के दौरान एक महिला के ठंड लगने से चार माह के बच्चे की मौत हो गई। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या चार महीने का बच्चा प्रदर्शन के लिए गया था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में ब्रेवरी अवॉर्ड प्राप्त एक बच्चे ने खत लिखकर प्रदर्शनों और आंदोलनों में बच्चों को लेकर जाने पर रोक लगाने की मांग की है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। शाहीन बाग में प्रदर्शन के दौरान एक चार महीने के बच्चे की मौत के बाद यह खत ब्रेवरी अवॉर्ड विनर बच्चे ने लिखा। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध से दूसरों को परेशानी न हो, ऐसा अनिश्चित काल के लिए नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इतने समय तक आप रोड कैसे ब्लॉक कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी की होगा।
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी सहित कई लोगों की तरफ से दायर एक याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया गया था। यह याचिका शाहीन बाग के बंद किए गए रास्ते को खुलवाने की मांग के लिए दायर की गई है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि इस पूरे मसले में हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज द्वारा निगरानी की जाए।

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