नई दिल्ली। आज बुद्ध पुर्णिमा केविशेष पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय ने दुनिया भर के बौद्ध संघों के भागीदारी के साथ एक वर्चुअल प्रार्थना कार्यक्रम आयोजित किया है। इस आयोजन में विश्व के लाखों अनुयायी जुड़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय बधाई का पात्र है। हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का आॅन लाइन प्रसार अद्भुद है। पूरी दुनिया केहेल्थ वकर्स और दूसरे वकर्स के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन करना यह अभिनंदन का कार्यहै। भगवान बुद्ध ने भारत की संस्कृति और इस महान सभ्यता को बहुत समृद्ध किया। वह अपना दीपक खुद बने और दूसरों केजीवन को भी प्रकाशित किया। बुद्ध किसी एक घटना से नहीं जुड़े हैं। समय बदला स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदली लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश आज भी उतना ही उपयोगी है। बुद्ध केवल नाम नहीं एक विचार है। यह मानवता का मार्गदर्शन करता है। बुद्ध त्याग और तपस्या की सीमा है। सेवा और समपर्ण का पर्याय है। बुद्ध वह है जो स्वयं को तपाकर खुद को न्यौछावर कर दे। हम सभी का सौभाग्य है कि हम अपने आस-पास अनेकों लोगों को देख रहे हैं कि किसी मरीज का इलाज करने के लिए, किसी भूखे को भोजन खिलाने के लिए, अस्पतालों में सफाई करने या सड़कों को सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसे प्रत्येक व्यक्ति नमन का पात्र है। भगवान बुद्ध कहते थे कि मानव सदैव प्रयास करना चाहिए कि कठिन परिस्थतियों से बाहर निकले थक कर रुकना विकल्प नहीं हो सकता है। भगवान बुद्ध के चार सत्य दया, करुणा, दुख सुख के प्रति समभाव, जो जैसा है उसी रूप में स्वीकारना यह भारत भूमि की प्रेरणा बना है। भारत भी पूरे विश्व में बिना किसी भेदभाव के सबके साथ खड़ा है। भारत ने हर जरुरतमंद तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत हर भारतवासी का जीवन बचाने के लिए प्रयास कर रहा और वैश्विक जिम्मेदारियोंको भी निभा रहा है। बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध दोनों के साथ है। भारत की प्रगति हमेशा विश्व की प्रगति मेंसहायक होगी। जो दिन रात लगातार दूसरों की सेवा में लगे है वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं। पीएम ने इस अवसर पर कहा कि संकट के समय हमें मदद करने की जरूरत है। हमेंअपनी, अपने परिवार और दूसरों की रक्षा करनी है। भारत विश्व हित में काम कर रहा है और करता रहेगा। कोरोना संकट के समय अपना ख्याल रखे और यथासंभव दूसरोंकी भी मदद करें। सर्व मंगलम।
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