No matter how much dream Modi, Mohan Bhagwat, we will not allow reservation to end – Rahul Gandhi: मोदी, मोहन भागवत कितना भी सपना देखें, हम आरक्षण खत्म नहीं होने देंगे- राहुल गांधी

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज आरक्षण मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मैं देश के लोगों से खास तौर पर एसटी,एसी और ओबीसी से कहना चाहता हूं कि मोदी जी और मोहन भागवत चाहे जितने सपने देख लें हम आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, ‘सरकार संविधान पर लगातार हमला कर रही है। संसद में हम बोलने नहीं दे रहे हैं और ज्यूडिशरी पर दवाब बना रहे हैं।’ गौरतलब है कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण न तो मौलिक अधिकार है, न ही राज्य सरकारें इसे लागू करने के लिए बाध्य है। इसके अलावा राहलु गांधी ने कहा कि भाजपा और आरएसएस के डीएनए में आरक्षण चुभता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने फैसले में कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण नागरिकों का मौलिक अधिकार नहीं है और इसके लिए राज्य सरकारों को बाध्य नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, कोर्ट भी सरकार को इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता। दरअसल यह मामला उत्तराखंड में लोक निमार्ण विभाग में सहायक इंजीनियर (सिविल) के पदों पर प्रमोशन में एससी/एसटी के कर्मचारियों को आरक्षण देने के मामले में आया है, जिसमें सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था, जबकि हाईकोर्ट ने सरकार से इन कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने को कहा था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) तथा (4ए) में जो प्रावधान हैं, उसके तहत राज्य सरकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के अभ्यर्थियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन यह फैसला राज्य सरकारों का ही होगा। अगर कोई राज्य सरकार ऐसा करना चाहती है तो उसे सार्वजनिक सेवाओं में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी के संबंध में डाटा इकट्ठा करना होगा, क्योंकि आरक्षण के खिलाफ मामला उठने पर ऐसे आंकड़े अदालत में रखने होंगे, ताकि इसकी सही मंशा का पता चल सके, लेकिन सरकारों को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। पीठ का यह आदेश उत्तराखंड हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2019 के उस फैसले पर आया, जिसमें उसने राज्य सरकार को सेवा कानून, 1994 की धारा 3(7) के तहत एससी-एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए कहा था, जबकि उत्तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था।

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