Two new industrial parks approved by Punjab cabinet: पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा दो नए औद्योगिक पार्कों को मंजूरी

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चंडीगढ़ । राज्य की आर्थिकता और औद्योगिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए पंजाब मंत्रिमंडल ने बुधवार को 3200 करोड़ रुपए की लागत से 2000 एकड़ सरकारी व पंचायती जमीन पर आधुनिक औद्योगिक पार्क तथा एकीकृत उत्पादन कलस्टर क्रमश: मत्तेवाड़ा (लुधियाना) के नजदीक एवं राजपुरा (पटियाला) में स्थापित करने के लिए मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए हुई मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह दोनों प्रोजेक्ट राज्य की आर्थिक तरक्की के लिए औद्योगीकरण की गति को तेज करने और बड़े स्तर पर रोजगार सामथ्र्य बढ़ाने को यकीनी बनाने में सहायक होंगे। राज्य में औद्योगिक/आर्थिक केंद्रों के विकास की जरूरत को पूरा करने के लक्ष्य के अनुसार 1600-1600 करोड़ की लागत से 1000-1000 एकड़ में स्थापित होने वाले दोनों प्रोजेक्ट संभावित उद्यमियों /उद्योगपतियों द्वारा उनके प्रोजेक्ट तेजी से स्थापित किए जाने की जरूरतों की पूर्ति करेंगे।

अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए इंतकाल फीस 300 से बढ़ाकर 600 रुपए की
राज्य की वित्तीय हालत सुधारने के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने की कोशिश के तौर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने इंतकाल फीस 300 से बढ़ाकर 600 रुपए करने के लिए हरी झंडी दे दी। इस फैसले से राज्य के खजाने को लगभग 10 करोड़ रुपए की राजस्व सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग को जमीन के मालिकों के हित में सभी बकाया इंतकाल निपटाने के लिए विशेष मुहिम भी चलाने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग को इंतकाल फीस वसूलने और जमीन की रजिस्ट्री के मौके पर इंतकाल के लिए दस्तावेजों को जल्दी मुकम्मल करने पर विचारने के हुक्म दिए, जिससे इस संबंध में अनावश्यक देरी को रोका जा सके। कुछ मंत्रियों ने मीटिंग के दौरान यह मुद्दा उठाया गया कि अनेकों इंतकाल सालों से बकाया हैं, तो मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और वित्तायुक्त (राजस्व) को यह मामला विचारने व जरूरी कदम उठाने को कहा। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक सरकार द्वारा तय की गई फीस आज के मुद्रा प्रसार के माहौल में राजस्व संग्रह के लिए बहुत कम है। यह फीस पिछली बार अक्तूबर, 2012 में बढ़ाई गई थी, जो कि 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए की गई थी। प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के खजाने पर खर्चों का बोझ बढऩे के कारण राज्य सरकार ने आठ सालों के लंबे समय के बाद इंतकाल फीस बढ़ाने का फैसला लिया है। इस दौरान मंत्रिमंडल ने गृह मामलों और न्याय विभाग की साल 2015 की सालाना प्रशासनिक रिपोर्ट को भी मंजूरी दे दी है।

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