Chief Minister seeks loan of 540 crore rupees from Union Energy Minister for State Electricity Board: मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से राज्य बिजली बोर्ड के लिए मांगा 540 करोड़ रुपये का ऋण,

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शिमला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह से आग्रह किया है कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड को 540 करोड़ रूपए के ऋण पीएफसी/आरईसी के माध्यम से प्रदान किया जाए, ताकि मार्च और अप्रैल माह की देनदारियां पूरी की जा सके। उन्होंने कहा है कि अब मार्च और अप्रैल 2020 तक 540 करोड़ रुपये की देनदारियां लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से 350 करोड़ रुपये अनुदान प्रदान करने के साथ-साथ आरईसी/पीएफसी के माध्यम से होने वाले ऋणों पर ब्याज दरों को भी कम करने का आग्रह भी किया। वे शुक्रवार को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लेते हुए बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान हुए लाॅकडाउन से प्रभावित ओद्यौगिक ईकाइयों, आर्थिक प्रतिष्ठानों, होटलों और रेस्तरां को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने छूट और डिमांड चार्जिज को टालने के माध्यम से 47 करोड़ रुपये की राहत दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए बिजली के बिल जमा करने की तिथि को कई बार बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के कारण बिजली की मांग में 40-45 प्रतिशत की कमी आई है जिससे हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड को लगभग 319 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार निकट भविष्य में शिमला और धर्मशाला में 1.52 लाख स्मार्ट बिजली मीटर स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि यद्यपि केंद्र सरकार ने विशेष श्रेणी के राज्य हिमाचल प्रदेश को निश्चित अनुदान प्रदान करने का भी प्रावधान किया है, परन्तु इसे वास्तविक लागत के माध्यम से निश्चित किया जाना चाहिए ताकि 22 लाख उपभोक्ताओं, जिसमें 20 लाख घरेलु उपभोक्ता पर कम से कम भार पड़े। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक उर्जा राज्य के रुप में जाना जाता है, तथा यहां देश में कुल उपलब्ध 45,000 मेगावाट जल विद्युत क्षमता में से 10,500 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष राज्य सरकार ने 778 मेगवाट की परियोजनाएं सतलुज जल निगम, 499 मेगावाट की परियोजनाएं एनटीपीसी और 520 मेगावाट की परियोजनाएं चिनाब घाटी में क्रियान्वयन के लिए एनटीपीसी को आवंटित की हैं। उन्होंने कहा कि यह घाटी जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्र में है, इसलिए ऊर्जा निकासी के लिए प्रभावी और दीर्घकालीन नीति बनाने की आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा कि एसजेवीएनएल तथा राज्य सरकार द्वारा काज़ा में 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा मैगा पार्क का निर्माण प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निकासी के लिए प्रभावशाली व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस संदर्भ में केन्द्रीय ऊर्जा सचिव को पहले ही एक पत्र लिखा है।
 
केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण विभिन्न क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और ऊर्जा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र को हुई क्षति से उभारने के लिए प्रभावी कदम लेने और नवीन पहल की आवश्यकता है। केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि दूरदराज क्षेत्रों में ऊर्जा निकासी प्रणाली तैयार करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री टीएस रावत, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, विभिन्न राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों ने भी इस बैठक में वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा राम सुभग सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
राज्य के युवाओं में कौशल उन्नयन को एडीबी वित्तपोषित योजना को समय पर पूरा करने के निर्देश 
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को राज्य के युवाओं में कौशल उन्नयन के लिए एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित 100 मिलियन डाॅलर की हिमाचल प्रदेश कौशल विकास योजना को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए। हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के निदेशक मण्डल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना राज्य में अधिक उत्पादक कार्यबल का निर्माण करेगी, जो बाजार की मांग, तकनीक और व्यावसायिक कौशल से लैस होगा। उन्होंने कहा कि परियोजना का उद्देश्य 25 ट्रेड में राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एससीवीटी) से राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) तक 150 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को स्तरोन्नत करने के अतिरिक्त नौ रोजगार एक्सचेंज को माॅडल एक्सचेंज में स्तरोन्नत करना भी है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश विकास परियोजना के तहत सोलन जिला के वाकनाघाट में पर्यटन, आतिथ्य और सूचना प्रौद्योगिकी के उत्कृष्ट केन्द्र के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में निविदा आमंत्रित करने व उपकरणों की खरीद के लिए एक समिति गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संस्थान का कार्य शीघ्र आरंभ किया जाना चाहिए ताकि युवा इससे लाभान्वित हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 6,500 से अधिक छात्र विभिन्न कार्यक्रमों जैसे स्नातक एड आन प्रशिक्षण, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण, प्रशिक्षण सेवा संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण और एशियाई बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश कौशल विकास परियोजना के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह, एनएससीडसी के वरिष्ठ प्रमुख जय कांत सिंह, एफटैक को-फाउंडर बिलीव इंडिया के प्रबंध निदेशक लीथा मल्लिकार्जुन, हिमाचल प्रदेश राज्य के कौशल विकास निगम के राज्य समन्वयक नवीन शर्मा, मुख्य सचिव अनिल खाची, प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव श्रम एवं रोजगार केके पंत सचिव ग्रामीण विकास संदीप भटनागर और हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर भी बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने टिशु कल्चर इकाई और बांस की हाई-टैक नर्सरी की आधारशिला रखी
 
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को यहां कहा कि पालमपुर का हिमालयन जैव-संसाधन प्रोद्योगिकी संस्थान प्रदेश के टांडा, चम्बा, हमीरपुर चिकित्सा महाविद्यालयों को कोविड-19 के परीक्षण के लिए सभी आवश्यक उपकरण और लाॅजिस्टिक सहयोग प्रदान करने के अलावा प्रदेश में किए जा रहे कोविड-19 के परीक्षण करवाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वे यहां वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पालमपुर के वैज्ञानिक तथा ओद्यौगिक अनुसंधान परिषद हिमायलन जैव प्रोद्योगिकी संस्थान के कार्यक्रम में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थान ने उपभोक्ताओं के लिए अल्कोहल रहित हैंड सैनेटाइजर और हर्बल साबुन बनाने में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि संस्थान विभिन्न पौधों से निर्मित सुगन्धित तेलों के उत्पादन तैयार करके हिमाचल प्रदेश को देश का आरोमा राज्य बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए 4.50 करोड़ रुपये तथा केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए 5 करोड़ रुपये लागत की परियोजनाएं आरंभ की गई हैं। प्रदेश सरकार इन परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए संस्थान को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहें हैं। केसर और हींग का उत्पादन प्रदेश के किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में सफल प्रयास सिद्ध होगा। जय राम ठाकुर ने इस अवसर पर संस्थान की पत्रिका बैम्बू रिर्सोसिज एैट  सीएसआईआर-आईएचबीटी और टी-जर्मप्लाजम एैट सीएसआईआर-आईएचबीटी का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रोटीन प्रसंस्करण केंद्र का शुभांरम्भ तथा टिशु कल्चर इकाई व बांस की हाई-टैक नर्सरी की आधारशिला रखी। प्रधान सचिव कृषि ओंकार शर्मा, विशेष सचिव कृषि राकेश कंवर और अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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