An opportunity to rejoice at the success of the constitution and introspect on its shortcomings: संविधान की सफलता पर खुश होने और अपनी कमियों पर आत्मविश्लेषण का अवसर

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एजेंसी,नई दिल्ली। भारतीय संविधान के 70 साल पूरे होने के इस विशेष अवसर पर कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने रविवार को एक पत्र जारी कर स्पष्ट सवाल किया कि क्या संविधान सिर्फ प्रशासन चलाने की नियमावली है? इस पत्र में सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग, प्रसिद्ध फिल्मकार अदूर गोपालकृष्णन, अभिनेत्री एवं सेंसर बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष शर्मिला टैगोर, कर्नाटक संगीत की जानी-मानी हस्ती टी. एम. कृष्णा, यूजीसी और आईसीएसएसआर के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट और (तत्कालीन) योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद ने हस्ताक्षर किए। उन्होंने इस मौके पर लोगों से संविधान के कामकाज का आत्म विश्लेषण करने की भी अपील की। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी सहित आठ लोगों ने इस विशेष पत्र को जारी किया। पत्र में भारत के गणतंत्र बनने के 70 साल पूरे होने पर खुशी जताते हुए आत्म विश्लेषण करने को भी कहा गया है। इसके साथ ही पत्र में प्रश्न किया गया है कि क्या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए सर्वोपरि सत्य और अहिंसा की विचारधारा आज भी हमारे सार्वजनिक जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रही है। पत्र में कहा गया कि संविधान के 70 साल पूरे होने पर हमें अवसर मिला है कि हम इसकी सफलता पर खुश हो सकें और साथ ही अपनी कमियों का आत्मविश्लेषण कर सकें।

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