Sharad Pawar’s resentment in Bhima Koregaon case: भीमा कोरेगांव मामले में सामने आई शरद पवार की नाराजगी

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई है। हालांकि अब कई बार इस सरकार के गठबंधन के साथियों में विचारों के मतभेद सामने आ चुके हैं। कई बार मनमुटाव की घटनाएं सामने आर्इं हैं। अब तक शिवसेना और कांग्रेस कई मुद्दों पर आमने-सामने दिखे थे लेकिन इस बार सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले एनसीपी नेता शरद पवार शिवसेना प्रमुख से नाराज दिखे। एनसीपी नेता शरद पवार ने महाराष्टÑ सरकार पर सवाल उठाए। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद (भीमा कोरेगांव) मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अपने हाथ में लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। इस शरद पवार को आपत्ति है और उन्होंने कहा कि केन्द्र का इस तरह से राज्य के हाथों से जांच लेना केंद्र गलत है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके फैसले का समर्थन करना भी गलत है। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।
भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को हस्तांतरित करने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार (भीमा कोरेगांव जांच में शामिल) आपत्तिजनक था। मैं चाहता था कि इन अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। उन्होंने कहा कि सुबह में पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी और दोपहर 3 बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया। यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।
केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंप दी थी। राज्य की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने उस समय इस फैसले की आलोचना की थी। हालांकि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) संजय कुमार ने कहा मामला कि एनआईए को हस्तांतरित करने पर राज्य गृह विभाग को कोई आपत्ति नहीं है। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र के इस फैसले की यह कहते हुए आलोचना की थी कि केंद्र सरकार को जांच में दखल देने का पूरा अधिकार है, लेकिन एनआईए को जांच सौंपने से पहले उसे राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मामला एनआईए को उस समय सौंपा गया जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार विशेष जांच दल (एसआईटी) से इसकी जांच की मांग कर रहे थे।

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