The voice of the brave daughter, do what you want to do, now you don’t feel afraid ‘,: बहादुर बेटी की आवाज, जो करना है कर लो, अब डरने का मन नहीं करता’,

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नई दिल्ली। देश में महिलाओं की स्थिति और सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठा दिया है। हैदराबाद में 27 वर्षीय एक पशुचिकत्सक बेटी का बलात्कार और निर्मम हत्या ने एक बार फिर से देश की जनता को हिला दिया है। एक बार फिर उस निर्भया की याद दिलाई जिसको दिसंबर 2012 में दिल्ली की चलती बस में तार-तार किया गया। हिंसा की पराकाष्ठा तक जाकर उसके साथ बलात्कार को अंजाम दिया गया था। हैदराबाद की घटना के बाद फिर से दुष्कर्म के आरोपियों के लिए कठोरतम कानून और सजा की मांग ने फिर से जोर पकड़ लिया है। लेकिन इन सबमें एक बहादुर बेटी ने अकेली ही मोर्चा संभाल लिया। वह अकेली ही निकल पड़ी इस जघन्य कृत्य का विरोध करने के लिए। उसने लोकतंत्र के मंदिर के सामने अपने दर्द और असुरक्षा को दिखाना चाहा। संसद में जो नेता जनता की रक्षा और सुरक्षा की कसमें खाते हैं उन्हें चेताने के लिए संसद के बाहर अकेली ही बैठ गई।

उसके हाथ में तख्ती थी, जिस पर लिखा था, ‘जो करना है कर लो, अब डरने का मन नहीं करता।’ उस बहादुर लड़की का नाम अनु दुबे है। अनु का कहना है कि ये सिर्फ हैदराबाद वाले मामले के खिलाफ नहीं है बल्कि दुष्कर्म के सभी मामलों के खिलाफ और महिला सुरक्षा के लिए प्रदर्शन है। हालांकि उसकी आवाज सुनी जाए इससे इतर उसके साथ दिल्ली पुलिस ने बेहद खराब व्यवहार किया। उसे वहां से खदेड़ दिया। यहां तक कि उसकी दिल्ली पुलिस ने पिटाई भी की। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने बताया कि वह अनु से मिलीं और उसने बताया कि पुलिस ने उसके साथ बर्बरता की। अनु ने स्वाति को बताया कि थाने में मौजूद एक बिस्तर पर उसे धकेला गया और तीन महिला हवलदारों ने उसके ऊपर चढ़कर पीटा और धमकाया। पुलिस ने उससे लिखित में ये लिया है कि अब वह संसद के बाहर प्रदर्शन नहीं करेगी। स्वाति मालिवाल ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कर अनु के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसवालों को सस्पेंड करने की मांग की है।

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