Punjab prepares for large scale influx of people trapped in NRIs and other states of the country: एनआरआईज और देश के अन्य राज्यों में फंसे लोगों की बड़ी स्तर पर आमद के लिए पंजाब ने की तैयारियां

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चंडीगढ़ विदेशों से एनआरआईज और देश के अन्य राज्यों में फंसे लोगों की बड़ी स्तर पर आमद से निपटने के लिए राज्य की तैयारियों के तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कोरोनावायरस के रोग के फैलाव को रोकने के लिए कई हिदायतें जारी की हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को सख्त हिदायत की कि पंजाब लौटने वाले हरेक व्यक्ति की लाजमी तौर पर जांच की जाए और भारत के अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों (रैड जोन) से वापस आने वालों के लिए संस्थागत एकांतवास तथा एनआरआईज के लिए होटलों/घरों में एकांतवास को यकीनी बनाया जाए।
और ज्यादा दबाव से निपटने के लिए राज्य सरकार ने राज्य की यूनिवर्सिटियों और लैबोरेटरियों को भी शामिल करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने छह संस्थाओं के लिए खर्चे चलाने और साजो-सामान के लिए 12 करोड़ रुपए की राशि को तत्काल मंजूरी दे दी है। इन संस्थाओं में रीजनल डिजीज डायगनौस्टिक लैब, नॉर्थ जोन जालंधर, गुरू अंगद देव वैटरनरी एंड एनिमल यूनिवर्सिटी, लुधियाना, गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब बायोटैक इंक्यूबेटर मोहाली और पंजाब फोरेंसिक लैब, मोहाली शामिल हैं।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की टेस्टिंग सहूलियतों के बचाव के लिए भी आगे आने का फ़ैसला किया है, जो कि आई.सी.एम.आर. से किटें न मिलने के कारण अपना सामथ्र्य बढ़ाने से असमर्थ थे। मुख्यमंत्री ने इन स्वास्थ्य केन्द्रों को खुली मार्केट में से टेस्टिंग के प्रयोग के लिए किटें खरीदने के निर्देश दिए जिसका खर्चा राज्य सरकार उठाऐगी।
मुख्यमंत्री ने डिप्टी कमिशनरों को प्राइवेट होटलों की सूची तैयार करने के आदेश दिए जिनका प्रयोग भुगतान के आधार पर एकांतवास के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को कार्यशील/गैर -कार्यशील प्राइवेट अस्पतालों का रिकार्ड तैयार करने के लिए भी कहा। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को स्वास्थ्य और मेडिकल माहिरों के साथ वीडियो कॉनफे्रंसिंग के दौरान यह फैसले किए। मीटिंग के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्तर-1 और 2 की सहूलियतों की तैयारियों का तुरंत ऑडिट करवाने के आदेश देते हुए बताया कि विदेशों में रहते 21000 पंजाबी घर वापस आना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह संबंधित देशों से वापस मुडऩे वालों को दिए जाने वाले जरूरी सर्टिफिकेटों की भरोसे योग्यता पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने कहा कि एनआरआईज को भुगतान के आधार पर होटलों और घरों में एकांतवास के लिए टेस्टिंग लंबित होने तक निगरानी के तहत रखने का विकल्प होना चाहिए, जो कि उनके पहुंचने पर चार-पांच दिनों के अंदर होना चाहिए।
अन्य प्रदेशों से पंजाब वापस लौटने वालों संबंधी मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र (नांदेड़) जहां से अब तक वापस आए 1000 पंजाबियों में से 27 फीसद व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, के तजुर्बो का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार अब कोई ऐसा मौका पैदा नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि वापस लौटने वाले सभी लोगों को राज्य के एकांतवास केंद्रों में निश्चित दिनों के लिए रहना होगा। इससे पहले डॉ. के.के.तलवाड़ ने विस्तृत आंकड़ों से देश के विभिन्न क्षेत्रों के रैड जोनों में से वापस लौटने वालों के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने की जरूरत पर जोर दिया। मीटिंग के दौरान प्रमुख सचिव मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान डीके तिवाड़ी ने बताया कि राज्य को कम्युनिटी निगरानी अधीन लाया जा चुका है और अब तक 50 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि कम्युनिटी निगरानी मुख्य तौर पर उन लोगों की शिनाख्त के लिए की जा रही है जो राज्य में बिना जांच से दाखिल हुए हैं। ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों और उनके पारिवारिक सदस्यों की भी स्क्रीनिंग को भी लाजमी बनाया जा रहा है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव विनी महाजन ने बताया कि पंजाब ऐसा पहला राज्य है जिसकी तरफ से आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों से भी बढ़ कर वायरल टेस्टिंग को वैज्ञानिक विधि के अनुसार अपनाया है। उन्होंने बताया कि नीति अनुसंधान संबंधी केंद्रीय संस्थान (सीपीआर) की तरफ से अमेरिका और भारत की अलग-अलग यूनिवर्सिटियों के सहयोग से टेस्टिंग की ऐसी व्यापक योजना को आगे लाया गया है। विनी महाजन ने बताया कि राज्य में मौजूदा समय पीपीई किटें बनाने वाली 28 रजिस्टर्ड फर्में हैं और एन-95 किटें बनाने वाली चार फर्में हैं जबकि मार्च में स्थानीय स्तर की ऐसी एक भी फर्म नहीं थी।
अन्य तैयारियों संबंधी मीटिंग के दौरान बताया गया कि कोविड प्रभावित लोगों के एकांतवास के लिए यूनिवर्सिटियों के कैंपस और होस्टलों को दर्जा 1 के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और दूसरे दर्जे के लिए 500 बैड वाले 24 केंद्र तैयार हैं, जिनमें जिला अस्पताल फगवाड़ा और खन्ना में बनाऐ गए एकांतवास केंद्र शामिल हैं। दूसरे और तीसरे दर्जे के लिए निजी अस्पतालों को शामिल किया जाएगा।

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