Prashant Kishore and JDU face to face, told Prashant, mentally imbalanced: प्रशांत किशोर और जेडीयू आमने-सामने, प्रशांत को कहा, मानसिक असंतुलित

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नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव होने में अभी थोड़ा समय है लेकिन तैयारियां अभी से शुरू हो गर्इं हैं। आरोप प्रत्यरोप का दौर भी शुरू हो गया है। सियासी माहौल गर्माने का श्रेय प्रशांत किशोर को जाता है। प्रशांत किशोर से सीधे नीतीश कुमार पर हमला किया जिस पर जेडीयू की ओर से भी पलटवार किया गया। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर पिछलग्गू कहा। जिसके जवाब में जेडीयू ने उन्हें मानसिक तौर पर अस्थिर करार दिया। जेडीयू ने कहा- प्रशांत किशोर मानसिक तौर पर अस्थिर जैसा व्यवहार कर रहे हैं। जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा कि कोई भी शख्स ऐसा व्यवहार तब करता है जब वे मानसिक तौर पर आसंतुलित हो जाता है। एक तरफ वे कहते हैं कि नीतीश कुमार मेरे पिता की तरह है और दूसरी तरफ वे उनके ऊपर हमला करते हैं जो सच नहीं है।
प्रशांत किशोर को जेडीयू निष्कासित कर दिया गया था जिसके बाद पहली बार वह बिहार में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने इस दौरान नीतीश कुमार पर जमकर हमले किए। प्रशांत किशोर ने कहा कि गरीबी के मामले में आज भी सबसे ज्यादा गरीब लोग बिहार में ही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मानते हैं कि उन्होंने बिहार में बहुत कुछ किया, लेकिन हकीकत ये है कि देश का सबसे ज्यादा गरीब बिहार में ही बसते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार उनके लिए पिता तुल्य हैं और उनका फैसला उन्हें दिल से स्वीकार है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों के दौरान भले ही बिहार का विकास हुआ हो, लेकिन विकास की गति ऐसी नहीं रही जिससे आमूल-चूल परिवर्तन हुआ हो। प्रशांत ने आगे कहा कि 2005 में भी बिहार देश का सबसे गरीब राज्य था और आज भी सबसे गरीब राज्य है, जो विकास के मामले में 22वें स्थान पर है। बता दें कि जेडीयू में शामिल प्रशांत किशोर का नीतीश से सीएए और एनआरसी को लेकर मतभेद हुआ था। वह लगातार पार्टी और नीतीश के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित किया था। प्रशांत चाहते थे कि नीतीश कुमार सीएए का विरोध करें। प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार गोड्स की विचारधारा वालों के साथ हैं। उन्होंने कहा बिहार में शिक्षा को लेकर भले ही काफी काम हुआ हो, लेकिन हकीकत ये है कि साइकिल बटी, पोशाक बटी, एडमिशन भी हुआ लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं बढ़ पाया।

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