3 children rescued from the atrocities of warts and new life: इनसे सीखें- मौसा-मौसी के अत्याचारों से 3 बच्चों को छुड़ा दी नई जिंदगी

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डेराबस्सी। भारत समेत पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी के चलते संकट के दौर से गुजर रहा है। जिससे छुटकारा पाने के लिए देश भर के लोग पूजा अर्चना करने के साथ साथ जरूरमंद परिवारों को मदद कर उन्हें बचाने में लगे हैं। कोरोना महामारी के दौरान नेपाल के अनाथ तीन बहन व एक भाई अपने मौसा मौसी के चुंगल में फंंस कर शोषण का शिकार हो रहे थे जिनकी परवरिश का जिम्मा उठाते हुए पूर्व आईएएस की बेटी अर्चना ने चारों बच्चो को नया जीवन देकर उन्हें न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया है। अर्चना के मुताबिक जीरकपुर में नेपाली मौसा मौसी के पास तीन बहन व उनका एक छोटा भाई अपने माता पिता की मौत के बाद रह रहे थे । अर्चना ने बताया कि एक बेटी उनके यहां किसी संबंधी के माध्यम से नौकरी पाने के लिए पहुंंची तो उन्होने उसे घर में काम करने के लिए रख लिया लेकिन दो दिन तक वह मंदिर में बैठी रोती रही जब उसने उसके रोने का कारण पूछा तो 19 वर्षीय मुन्नी (बदला हुआ नाम) ने उन्हें बताया तो उसे सुन कर उसके रौंगटे खड़े हो गए। मुन्नी ने कहा कि अंटी मौसा गत पांच सालों से उसके व उसकी अन्य दो बहनो के साथ शारीरिक छेड़छाड़ करता था। जब वह विरोध करती थी तो उनके छोटे 10 वर्षीय भाई को जान से मारने की धमकी दी जाती। उसने बताया कि तीनों बहने काम करती थी और जो वह प्रति महीना 30 हजार रूपए कमा कर लाती थी उसे भी मौसी मौसा ही रख लेते थे और उनके भाई से मुर्गा व बकरा कटवाने का काम लिया जाता था। उसने भाई ने जब ऐसा करने से मना कर दिया तो उसके मौसा ने उसके भाई के पैर पर ही बकरा काटने वाला चाकू मार मार दिया।
मौसा की हैवानियत की हद यहीं खत्म नहीं हुई वह काम करके आती थी तो उन्हें रोटी भी नहीं ढंग से मिलती थी इसके अलावा रोटी मांगने पर मौसा और मौसी खूब मारते थे। रात को ढाई बजे तक मौसा आकर सभी को मानसिक तौर पर परेशान करता था  जिसके कारण उन्हें अच्छी तरह से नींद भी नहीं आती थी।
अर्चना ने कहा कि बच्ची की यह बात सुन कर वह उसके मौसा को मिलने के लिए जीरकपुर स्थित उसके घर पहुंच गई तो वहां मौसा ने उसे ही धमकाना शुरू कर दिया जिसके बाद उसने सभी बच्चो को अपने साथ लिया और घर ले आई। वहां पहुंच कर बच्चों ने आपबीती सुनाई जिससे उसके भी रौंगटे खड़े हो गए। अर्चना ने कहा कि वह यूपी कैडर के आईएएस राज बहादुर वर्मा की बेटी है। उनके पति का भी देहात हो चुका है और वह अपने बेटे के साथ कनाडा में सैटल है। उसने कहा कि अब इन बच्चों की हालत देख कर उन्हे बहुत दुख हुआ।
अर्चना के इस कार्य की लोग तारीफ कर रहे है। लोगों का  कहना है कि लॉक डाऊन में अनाथ बच्चो को सहारा देकर जो कार्य अर्चना ने किया है वह वाकई काबिले तारीफ है।
बच्चों ने कहा बनेंगेे डाक्टर और पुलिस
अर्चना के मुताबिक बच्चे पढ़ लिख कर डाक्टर और पुलिस बनने की बात कह रहे है। उसने बताया कि वह बच्चों के लिए पेंसिल और किताबे लेकर आई है और उन्हें वह स्कूल में दाखिल करवायेगी और उनका पूरा खर्च उठायेगी। छोटे बच्चें का कहना है कि वह बड़ा होकर पुलिस बनेगा और अपने मौसा को सजा दिलायेगा।
मौसा ने फूंक डाले आधार कार्ड
बच्चे पढ़ न सके इसके लिए मौसा और मौसी ने उनके आधार कार्ड ही फूंक डाले। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड भी नया बनाने का प्रयास किया जायेगा तांकि लॉक डाउन खुलने के बाद स्कूल खुले और इनका दाखिला करवाया  जा सके।

एच.अग्रिहोत्री
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