Facebook 9.99% stake in Jio’s platforms by investing 43,574 crores: फ़ेसबुक, जियो के प्लैटफ़ॉर्म्स में 43,574 करोड़ का निवेश कर 9.99% की हिस्सेदारी

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मुंबई: रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, जियो प्लेटफ़ॉर्म्स लिमिटेड और फ़ेसबुक इंक ने आज एक बाइंडिंग अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर की घोषणा की है। जिसके मुताबिक फ़ेसबुक ने जियो प्लैटफ़ॉर्म्स में  43,574 करोड़ ($6.22 अरब) का निवेश किया है। फ़ेसबुक के इस निवेश से जियो प्लैटफ़ॉर्म्स की “प्री मनी एंटरप्राइज़ वैल्यू” ₹ 4.62 लाख करोड़ ($65.95 अरब) है; कन्वर्ज़न रेट ₹ 70 प्रति डॉलर माना गया है। फ़ेसबुक के निवेश के बाद उसे जियो प्लैटफ़ॉर्म्स में 9.99% की हिस्सेदारी (“फ़ुली डायल्यूटेड बेसिस” पर) मिल जाएगी।

जियो प्लैटफॉर्म्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की “फ़ुली ओन्ड सब्सिडियरी” है। ये एक “नेक्स्ट जनरेशन” टेक्नॉलोजी कंपनी है जो भारत को एक डिजिटल सोसायटी बनाने के काम में मदद कर रही है। इसके लिए जियो के प्रमुख डिजिटल एप, डिजिटल ईकोसिस्टम और भारत के नंबर #1 हाइ-स्पीड कनेक्टिविटी प्लेटफ़ॉर्म को एक-साथ लाने का काम कर रही है। रिलायंस जियो इंफ़ोकॉम लिमिटेड, जिसके 38 करोड़ 80 लाख ग्राहक हैं, वो जियो प्लैटफ़ॉर्म्स लिमिटेड की “होल्ली ओन्ड सब्सिडियरी” बनी रहेगी।

जियो एक ऐसे “डिजिटल भारत” का निर्माण करना चाहता है जिसका फ़ायदा 130 करोड़ भारतीयों और व्यवसायों को मिले। एक ऐसा “डिजिटल भारत” जिससे ख़ास तौर पर देश के छोटे व्यापारियों, माइक्रो व्यवसायिओं और किसानों के हाथ मज़बूत हों। जियो ने भारत में डिजिटल क्रांति लाने और भारत को दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल ताकतों के बीच एहम स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जियो ने विश्व स्तरीय डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म बनाने की प्रक्रिया में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है जिनमें शामिल हैं – ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, स्मार्ट डिवाइसेज़, क्लाउड और एज कंप्यूटिंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, ऑग्मेंटेड रिएलिटी, मिक्स्ड रिएलिटी और ब्लॉकचेन।

जियो ने एक नई डिजिटल दुनिया बनाई है जिसमें नेटवर्क, डिवाइसेस, एप्लिकेशंस, कॉन्टेंट, सर्विस एक्स्पीरियेंसेज़ सब शामिल हैं – और ये डिजिटल वर्ल्ड, भारत के ग्राहकों को उपलब्ध है – वो भी किफ़ायती दामों पर। कोविड-19 संकट के समय में भी जियो प्लैटफ़ॉर्म्स ने बेहतरीन सर्विस देकर लोगों का भरोसा जीतते हुए भारत की “डिजिटल लाइफ़लाइन” बनने का गौरव हासिल किया है।

दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक होने के नाते भारत में फ़ेसबुक कंपनी की कई बेहतरीन कम्युनिटी हैं फिर चाहे वो वॉट्सएप हो, फ़ेसबुक या इंस्टाग्राम। फ़ेसबुक को भारत के उद्यमियों और उनकी प्रतिभा का एहसास है और इसीलिए पिछले कुछ वर्षों में फ़ेसबुक ने भारत में निवेश किया है। फ़ेसबुक की कोशिश है कि भारतीयों और भारतीय व्यवसाइयों को कई प्लैटफ़ॉर्म्स के ज़रिए नए अवसर मिलें.

फ़ेसबुक और जियो का साथ आना कई मायनों में अभूतपूर्व है। ये भारत के टेक्नॉलोजी सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है। साथ ही दुनिया की किसी भी टेक्नॉलोजी कंपनी ने इससे पहले “माइनॉरिटी स्टेक” के लिए इससे बड़ा निवेश नहीं किया है।

मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की दृष्टि इस निवेश में जो क़ीमत लगाई गई है, उसके अनुसार जियो प्लैटफ़ॉर्म्स भारत की 5 सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों में से एक बन गई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने ये सब कर दिखाया वो भी मात्र साढ़े तीन साल में। ये दिखाता है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ कम समय में अत्याधुनिक कंपनी बनाकर उसे तेज़ी से फ़लते-फूलते व्यवसाय में तब्दील करने का दमखम रखती है ताकि शेयरधारकों को उनके निवेश का ज़्यादा से ज़्यादा मूल्य मिले।

हमारा लक्ष्य है छोटे से लेकर बड़े व्यवसायों को नए अवसर प्रदान करना। लेकिन ख़ासतौर पर हमारा ध्यान है भारत के छोटे व्यवसायों की ओर। हम चाहते हैं कि इनके लिए हम ऐसी डिजिटल दुनिया बनाएँ जिससे अंतत: हम भारत के 130 करोड़ लोगों की ज़िंदगियों को और ख़ूबसूरत बना सकें।

ये पार्टनरशिप भारत के सर्वांगीण विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी जो भारत के लोगों और भारत की अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों को पूरा करेगी। हमारा ध्यान है भारत के 6 करोड़ माइक्रो, छोटे और मंझोले व्यवसायों, 12 करोड़ किसानों, 3 करोड़ छोटे दुकानदारों (merchants) और “इंफ़ॉर्मल सेक्टर” के लाखों छोटे और मंझोले व्यवसायों पर। साथ ही अपनी डिजिटल सर्विसेज़ के दम पर हम भारतीयों के हाथों में एक नई ताकत देना चाहते हैं।

कोरोनावायरस महामारी के कारण भारत ही नहीं दुनिया भर की अर्थव्यवस्था संकटकाल से गुज़र रही है। ऐसे में ये पार्टनरशिप और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। कोविड-19 के बाद की दुनिया में ये बेहद ज़रूरी हो जाएगा कि अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से मज़बूत करने के लिए हम डिजिटल क्रांति को हर घर तक पहुँचा सकें। हमारा ये विश्वास है कि आनेवाले समय में भारत में डिजिटल दुनिया में मूलभूत परिवर्तन लाया जा सकता है ताकि हर भारतीय तक इसका फ़ायदा पहुँचे, रोजगार के नए अवसर पैदा हों, नए धंधे चालू हों और हर भारतीय अपनी प्रगति करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में बड़ी भूमिका निभा सके।

इस निवेश के बाद जियो प्लैटफ़ॉर्म्स, रिलायंस रीटेल लिमिटेड (“रिलायंस रीटेल”) और वॉट्सएप के बीच भी एक व्यावसायिक पार्टनरशिप समझौता हो गया है। इसके अनुसार रिलायंस रीटेल अपना “न्यू कॉमर्स” व्यवसाय वॉट्सएप की मदद से जियोमार्ट के प्लैटफ़ॉर्म पर कर सकेगा। इससे कई छोटे व्यवसायों को जोड़ने में भी मदद मिलेगी।

भारत के लोगों को बेहतरीन सामान किफ़ायती दामों पर मिल सकें, इसके लिए रिलायंस रीटेल अपने नए प्लैटफ़ॉर्म “जियोमार्ट” के ज़रिए लाखों छोटे दुकानदारों और किराना व्यापारियों को जोड़ सकेगा। जियोमार्ट के ज़रिए ये प्रयास रहेगा कि किराना व्यवसाय और मज़बूत हों ताकि अपने आस-पास के घरों में वे बेहतरीन सामान और सेवाएँ जल्द से जल्द दे सकें। इसके लिए जियोमार्ट पर डिजिटल लेन देन के लिए वॉट्सएप का इस्तेमाल किया जाएगा।

फ़ेसबुक के साथ पार्टनरशिप पर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री मुकेश अंबानी ने कहा, “2016 में जब हमने जियो की शुरुआत की थी तो हमने एक सपना देखा था। ये सपना था भारत के “डिजिटल सर्वोदय” का। ये सपना था भारत में एक ऐसी समावेशी डिजिटल क्रांति का जिससे हर भारतीय की ज़िंदगी बेहतर हो सके। सपना, एक ऐसी क्रांति का जो उसे “डिजिटल दुनिया” के शिखर तक पहुँचा सके। इसलिए भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को विकसित करने और बदलने के लिए हम अपने दीर्घकालिक साझेदार के रूप में फेसबुक का स्वागत करते हैं। Jio और Facebook के बीच तालमेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में मदद करेगा”

“जियो और फ़ेसबुक की इस पार्टनरशिप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन का सपना पूरा होने में मदद मिल सकती है। जिसके दो लक्ष्य थे। पहला, भारत के हर नागरिक के लिए सुकून और खुशियों से भरी ज़िंदगी यानि “ईज़ ऑफ़ लिविंग.” दूसरा, हर भारतीय के लिए व्यवसाय के अच्छे अवसर यानि “ईज़ ऑफ़ बिज़नेस.” मुझे पूरा विश्वास है कि कोरोनावायरस के बाद थोड़े ही समय में भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ेगी. ये पार्टनरशिप उस बदलाव को लाने में ख़ासी मदद कर सकती है।”

ये समझौता नियामक और सभी आपेक्षित अनुमतियां मिलने के आधीन है।

इस ट्रांज़ैक्शन के लिए “मॉर्गन स्टैनली” हमारे वित्तीय सलाहकार हैं और “ए ज़ेड बी एंड पार्टनर्स” और “डेविस पोल्क एंड वॉर्डवेल” हमारे क़ानूनी मामलों के सलाहकार हैं.

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