पितरों को होगी की प्राप्ति मोक्ष
Indira Ekadashi, Indira Ekadashi(आज समाज), नई दिल्ली: हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को पूर्णतया समर्पित होता है। इस साल 17 सितंबर यानी की आज इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी। इस बार इंदिरा एकादशी पर शिव योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा।
साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस शुभ अवसर पर साधक स्नान-ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखते हैं। एकादशी व्रत करने से घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है।
पूजा का दोगुना फल मिलेगा
ज्योतिषियों की मानें तो दशकों बाद इंदिरा एकादशी पर दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग साल 1941 समान है। आसान शब्दों में कहें तो दिन, नक्षत्र, संयोग, पूजा का समय लगभग समान है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।
इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत बुधवार 17 सितंबर (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार यानी 16 सितंबर की रात) को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी।
वहीं, 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
इंदिरा एकादशी शुभ योग
इंदिरा एकादशी के दिन परिघ योग का संयोग बन रहा है। परिघ योग का समापन 17 सितंबर को देर रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसके बाद शिव योग का निर्माण होगा।
वहीं, शिववास का संयोग देर रात 11 बजकर 39 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस दिन पुष्य नक्षत्र दिन भर है। जबकि बव, बालव और कौलव करण के संयोग बन रहे हैं।
साल 1941 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1941 में बुधवार 17 सितंबर के दिन इंदिरा एकादशी मनाई गई थी। इस दिन एकादशी का संयोग शाम 04 बजकर 26 मिनट तक था। वहीं, एकादशी तिथि की शुरूआत 16 सितंबर को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर हुई थी।
परिघ योग का संयोग 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 58 मिनट पर हुआ था। पुष्य नक्षत्र रात 10 बजकर 56 मिनट तक था। वहीं, बालव और कौलव करण संयोग बने थे। कुल मिलाकर कहें तो 84 साल बाद समान दिन, समय, नक्षत्र और संयोग में इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
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