तुलसी चालीसा का भी करें पाठ
Anant Chaturdashi, (आज समाज), नई दिल्ली: हर वर्ष भाद्रपद महीने में आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्रीहरि के अनन्त रूप की पूजा और कुछ उपाय किए जाते हैं। इस बार 6 सितंबर यानी की आज है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आर्थिक तंगी दूर हो सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है।
वहीं, यह गणेश पर्व के समापन का भी प्रतीक है, जब साधक बप्पा की प्रतिमा का भावपूर्ण विसर्जन करते हैं और उनसे अगले साल आने की विनती करते हैं। इस दिन तुलसी पूजन का भी बड़ा महत्व है। ऐसे में मां को जल अर्पित करें। फिर उनके सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से धन की समस्या दूर होती है।
बैकुंठ धाम में जगह पाने का उपाय
- साल 2025 में 6 सितंबर 2025, शनिवार को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
- इस दिन प्रात: काल में घर के मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- एक लाल रंग का सूत्र लें और उसमें 14 गांठें बांधें। सूत्र को भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित करें।
- विष्णु जी को पीले रंग के कपड़े, फल, फूल, पीले अक्षत और मिठाई अर्पित करें। अब व्रत का संकल्प लें और घी का एक दीपक जलाएं।
- आरती करके पूजा का समापन करें।
- अंत में सूत्र (अनंत सूत्र) को अपने दाहिने हाथ के बाजू पर बांधा लें।
- अगले दिन इस सूत्र को बहते हुए पानी या किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें, लेकिन इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन से भी शुद्ध रहें।
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति 14 साल तक अनंत चतुर्दशी के पावन दिन ये उपाय करता है, उसे भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही विष्णु और लक्ष्मी जी के निवास स्थान बैकुंठ धाम में जगह मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
तुलसी चालीसा
- श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।। - नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।। - विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।। - जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।। - कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।। - कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।। - श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।। - छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।। - औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।। - वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।। - नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दु:ख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।। - नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।। - नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।। - निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।। - शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।। - मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।। - बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।। - चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।। - पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।। - करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।। - तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।। - यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।
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