जानें विधि, भोग, रंग मंत्र और आरती
Skandamata Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र नौ दिनों का उत्सव है। लेकिन इस साल तिथि में बढ़ोतरी होने के कारण शारदीय नवरात्रि 9 नहीं बल्कि 10 दिनों तक मनाई जाएगी। इसलिए लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बनी है कि, किस दिन किस देवी की पूजा होगी। बता दें कि पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि शनिवार, 27 सितंबर 2025 को पड़ रही है और इसी दिन पांचवी देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
स्कंदमाता पूजा शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:36 से 05:24 तक
- सुबह का मुहूर्त- 07:50 से 09:19 तक
- दोपहर का मुहूर्त- 12:17 से 01:46 तक
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11: 84 से 12:36 तक
- संध्याकाल पूजा मुहूर्त- 06:30 से 07:42 तक
मां स्कंदमाता पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करें और फिर साफ कपड़े धारण करें। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थल के पास की साफ-सफाई करने के पश्चात गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र करें। पूजा स्थल के पास लकड़ी का पटिया (चौकी) रखकर इसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और मां स्कंदमाता की तस्वीर स्थापित करें। मां को फूलों की माला पहनाएं, कुमकुम से तिलक करें, फूल, फल, अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी, हल्दी आदि चीजें बारी बारी से चढ़ाएं।
इस मंत्र का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता का प्रिय रंग और भोग
स्कंदमाता को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इन्हें पूजा में पीले रंग की चीजें अर्पित करें। पीला रंग प्रिय होने के कारण मां को पूजा में पीले रंग के फल जैसे केला अर्पित किया जाता है। भोग में आप पीले रंग की मिठाई, हलवा, केसर वाली खीर आदि भी अर्पित कर सकते हैं।
स्कंदमाता का स्वरूप
नवदुर्गा में स्कंदमाता पांचवा स्वरूप है। नवरात्रि की पांचवीं तिथि इन्हीं माता की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंदमाता को यह नाम भगवान कार्तिकेय माता होने के कारण प्राप्त हुआ है। मां का स्वरूप अद्भुत और आलौकिक है। मां के विग्रह में बालस्वरूप स्कंद गोद में बैठे हैं। मां का शरीर श्वेतवर्ण है और कमल के फूल पर विराजमान हैं। मां की चार भुजाओं में एक हाथ में भगवान स्कंद, दो हाथों में कमल का पूल और एक हाथ अभय मुद्रा में है।
मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी।
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए।
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी।
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