कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का किया था वध
Dev Diwali, (आज समाज), नई दिल्ली: वैदिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। उस दौरान देवताओं ने भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की थी। इसलिए हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीवाली का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपासना करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और महादेव की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं।

देव दीवाली शुभ मुहूर्त

  • वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार देव दीवाली का पर्व 05 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है।
  • कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत- 04 नवंबर को देर रात 10 बजकर 36 मिनट पर
  • कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का समापन- 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 48 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक
    विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक

देव दीवाली पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • प्रदोष काल में पूजा करें।
  • चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं।
  • फूल माला अर्पित करें।
  • शिवलिंग का कच्चे दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • शिव चालीसा और मंत्रों का जप करें।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • प्रभु से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।

दीपदान करने से आती है सुख-समृद्धि

सनातन धर्म में देव दीवाली के दिन गंगा नदी के घाटों दीपदान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दीपदान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दीपदान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और सभी पापों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा दीपदान करने से भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और साधकों को जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।

दान करने से भरे रहते हैं धन-अन्न के भंडार

इस दिन दान जरूर करना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि देव दीवाली के दिन दान करने से धन-अन्न के भंडार रहते हैं।