नारियल से बनी मिठाइयों का लगाएं भोग
Maa Mahagauri, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में नवरात्र के 9 दिन सबसे पवित्र दिनों में गिने जाते हैं। सालभर में कुल चार नवरात्र आते हैं। हर साल अश्विन माह में शारदीय नवरात्र धूमधाम से मनाए जाती है। इन दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में मां भगवती धरती पर भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए आती हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्र के 8वें दिन मां महागौरी की किस विधि से उपासना की जाए और उन्हें कौन सा भोग लगाया जाए।
मां महागौरी का स्वरुप
नवरात्र के 8वें दिन मां महागौरी का पूजन होता है। माता महागौरी का वर्ण अत्यंत गौर (गोरा या सफेद) है। यहां तक कि इनके वस्त्र और आभूषण सभी सफेद हैं। मां की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन बैल है। मां के दाहिने ओर के ऊपर हाथ में अभय मुद्रा और नीचे हाथ में त्रिशूल है। वहीं बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
कैसे पड़ा महागौरी नाम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठिन तपस्या की थी, जिससे देवी का शरीर काला पड़ गया था। भगवान शंकर ने देवी की साधना से प्रसन्न होकर मां के शरीर को गंगा जल से स्वच्छ किया था। तब देवी का स्वरूप अत्यंत सुंदर और गौर वर्ण का हो गया और तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां महागौरी की पूजा विधि
- अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद मां को सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद मां को सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ ही कुमकुम से तिलक करें।
- इन सब के बाद मां महागौरी के मंत्रों के जप करें।
मां को नारियर से बनी मिठाई, हलवे और काले चने का भोग लगाएं। - इसके पश्चात अंत में मां महागौरी की आरती उतारें।
माता महागौरी का प्रिय भोग
8वें दिन माता महागौरी को नारियल से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माता को हलवे और काले चने का भोग भी लगाना चाहिए।
इन मंत्रों का जाप
- या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां महागौरी की आरती
- जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।। - हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।। - चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।। - भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।। - हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।। - सती सत हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।। - बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।। - तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।। - शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।। - भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
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